पेइचिंग। अमेरिका की लताड़ के बाद पाकिस्तान को उसके सदाबहार दोस्त चीन का साथ मिला है। हालांकि इसमें कुछ भी नया नहीं है, पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक को अलग-थलग पड़ने से बचाने के लिए चीन ही आगे आया था। चीन ने मंगलवार को पाकिस्तान का यह कहकर बचाव किया कि वैश्विक समुदाय को आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए उसके सहयोगी (पाकिस्तान) के ‘सर्वोत्तम योगदान’ को स्वीकार करना चाहिए।
गौरतलब है कि नए साल की शुरुआत पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी भरी रही है। पहले ही दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने आतंकियों को पालने को लेकर उसे जमकर खरी-खोटी सुनाई। दूसरे दिन मंगलवार को ट्रंप प्रशासन ने पाक को बड़ा झटका देते हुए उसे दी जाने वाली 1624 करोड़ की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी।
मंगलवार को चीन ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी रेकॉर्ड की तारीफ की। ट्रंप द्वारा पाकिस्तान की निंदा किए जाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में अथक प्रयास और बलिदान दिए हैं। वैश्विक चुनौती बन चुके आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान ने सर्वोत्तम योगदान किया है।’
चीन के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि चीन को यह देखकर खुशी है कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान समेत कई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में पाक बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता कायम की जा सके। गेंग ने आगे कहा, ‘चीन और पाकिस्तान सदाबहार सहयोगी रहे हैं। हम हमारे बहुपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के लिए तैयार हैं जिससे दोनों पक्षों को लाभ हो।’
कूटनीतिक जीत
ट्रंप के ट्वीट से पाकिस्तान दुनिया में एकबार फिर बेनकाब हो गया है। यह भारत की कूटनीतिक जीत कही जा सकती है क्योंकि भारत आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये को वैश्विक मंचों पर लगातार उजागर करता रहा है। ट्रंप ने लताड़ लगाते हुए कहा था कि पाक से झूठ और छल के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान एक तरफ तो आतंकियों को शरण देता रहा वहीं, दूसरी तरफ उसने अमेरिकी नेताओं को मूर्ख बनाया।
ट्रंप ने कहा, ‘अमेरिका ने बीते 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सहायता दी है, लेकिन बदले में हमें झूठ और छल के अलावा कुछ भी नहीं मिला। पाकिस्तान ने हमारे नेताओं को मूर्ख समझा। उन्होंने आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह दी और हम उन्हें अफगानिस्तान में ढूंढते रहे।’
पहले से थी इसकी उम्मीद
अमेरिका से मिले झटके पर पाक को सहारा देने चीन आगे आएगा, इसकी संभावना पहले से जताई जा रही थी। पाक में चीन ने भारी-भरकम निवेश किया है। वह 50 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाक आर्थिक गलियारा बना रहा है, जिस पर भारत ने आपत्तियां जताई हैं क्योंकि यह PoK से होकर गुजरता है। पिछले हफ्ते चीन, पाक और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद पेइचिंग ने CPEC में अफगानिस्तान को भी शामिल करने की इच्छा जताई थी।
चीन की चाल से बन रहे नए समीकरण
अफगानिस्तान में भारत ने काफी निवेश कर रखा है। ऐसे में चीन के इस कदम को गंभीरता से देखा गया है। अफगानिस्तान भी भारत की तरह ही पाकिस्तान में बैठे आतंकियों से पीड़ित रहा है। अफगानिस्तान कहता रहा है कि पाक तालिबान आतंकियों को शरण देता है। अब चीन ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिए पाक के साथ ही अफगानिस्तान को भी साधने की कोशिश की है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका पाक पर दबाव बढ़ा रहा है। इधर, पाक ने चीन के लिए सभी दरवाजे खोल दिए हैं, जिससे चीन को अरब सागर और हिंद महासागर में रणनीतिक पहुंच मिल गई है। ऐसे में क्षेत्र में नया समीकरण बनता दिख रहा है।
-एजेंसी
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