लखनऊ। देश के महान शहीद लाला लाजपत राय का 152वी जयंती रविवार को डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ-मंदिर मे मंदिर प्रमुख महंत देव्या गिरि की अगुवाई में मनाई गई। अनिल सिंह के संचालन में हुई इस संगोष्ठी में पंजाब नैशनल बैंक हज़रतगंज शाखा के एजीएम जी.एस.शर्मा, पीएनबी के सर्किल हेड रमन ग्रोवर, पीएनबी के जोनल मैनेजर राकेश शुक्ला ने अपनी राय रखी।
आयोजित समारोह में लाला जी को श्रद्धांजलि भेंट करने के बाद “पंजाब केसरी के जीवन पर परिचर्चा आरम्भ हुई, जी.एस.शर्मा ने कहा कि सभी देशवासियों को मिलकर आज फिर धर्म, जाति, बेरोज़गारी एवं आतंवाद की खिलाफ एक और आजादी की लड़ाई लड़नी होगी तभी जाकर हम महान शहीद लाला लाजपत राय सहित अन्य शहीदों के सपनों का भारत निर्माण कर सकते है। इसके बाद एक एक कर के सभी अतिथियों ने अपने-अपने विचार परिचर्चा पटल पर रखे।
सर्वधर्म व देश शांति के लिए की गई 11 सेवादारो ने की विशेष महाआरती
जया एकादशी के अवसर पर सर्वधर्म व देश शांति के लिए मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने मंदिर परिसर में स्थित भगवान विष्णु अवतार भगवान राम की रामदरबार समक्ष एवं महादेव की विशेष महाआरती की। आचार्य शिवराम अवस्थी के आचार्यत्व में सभी सेवादार पारम्परिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर हर हर महादेवं, जय श्री राम के जयगोष के साथ आरती मे विभोर हो गए। महा आरती में विक्की, आशीष कुमार, आशीष चौधरी, सोनू सिंह, वरुण सोनकर, विजय मिश्रा, अमन शुक्ला, अमित गुप्ता ,दीपू ठाकुर, बृजेश सिंह, अमित मिश्रा, तरुण, आदित्य मिश्र, मुकेश, अंकुर पांडेय मोहित कश्यप, हिमांशु गुप्ता, कृष्णा सिंह व गजेंद्र प्रताप सिंह की अहम भूमिका रही।
परिचर्चा मे डाला गया लाला के जीवन एवं विचारो पर प्रकाश
लाला जी की जयंती के उपलक्ष्य पर मंदिर परिसर मे आयोजित परिचर्चा मे मनकामेश्वर मठ-मंदिर प्रमुख देव्या गिरि ने लाला जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लाला लाजपत राय सम्पूर्ण जीवन भारत में शांति बनाये रखना चाहते थे और मानवता को बढ़ाना चाहते थे। ताकि भारत में लोग आसानी से एक-दुसरे की मदद करते हुए एक-दुसरे पर भरोसा कर सके, क्यूकी उस समय भारतीय समाज में भेदभाव, उच्च-नीच जैसी कई कु-प्रथाए फैली हुई थी। लाला लाजपत राय इन प्रथाओ की प्रणाली को ही बदलना चाहते थे, लाला लाजपत राय का हमेशा से यही मानना था की।
मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है
इसलिए हमें हमेशा अपने आप पर भरोसा होना चाहए, अगर हम में कोई काम करने की काबिलियत है। तो निच्छित ही वह काम हम सही तरीके से कर पाएंगे। कोई भी बड़ा काम करने से पहले उसे शुरू करना बहोत जरुरी होता है। जिस समय लाला लाजपत राय स्वतंत्रता अभियान में शामिल हुए उस समय उन्हें ये पता भी नहीं था के वे सफल हो भी पाएंगे या नही लेकिन कालांतर में उन्हीं के आज़ादी के बिगुल से भारत को स्वतंत्रता की रहा मिली। लेकिन उन्होंने पूरी ताकत के साथ अपने काम को पूरा करने की कोशिश तो की। उनके इन्ही कोशिशो के फलस्वरूप बाद में उनके स्वतंत्रता अभियान ने एक विशाल रूप ले लिया था। वह अभियान अंत में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाकर ही रुका।


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