दूसरे दिन भी विप का कामकाज चढ़ गया हंगामे की भेंट | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Wednesday 28 February 2018

दूसरे दिन भी विप का कामकाज चढ़ गया हंगामे की भेंट


मुंबई। पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की घटना को लेकर बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि घटना के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को सरकार बचा रही है। इस घटना को लेकर विपक्ष ने सदन में चर्चा कराने की मांग की, जिसे सभापति रामराजे नाईक निंबालकर ने अस्वीकार कर दिया। इससे नाराज होकर विपक्ष ने हंगामा किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। आखिरकार सभापति ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। मुंडे ने आरोप लगाया कि घटना को दो महीने बीत चुके हैं लेकिन आरोपियों की अभी भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। सरकार लाचार क्यों है और आरोपियों को क्यों बचा रही है। मुंडे ने सवाल उठाया कि क्या भीमा-कोरेगांव की हिंसा सरकार प्रायोजित थी। मुंडे ने कहा कि एक जनवरी से पहले भीमा-कोरेगांव परिसर के कुछ संगठन वातावरण बिगाड़ने के काम में लगे हुए थे। इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को भी थी। बावजूद इसके बंदोबस्त नहीं किया गया और दंगा होने दिया गया। लोगों ने सड़क पर उत्पात मचाया। प्रदेशभर में कोबिंग आपरेशन चलाया गया। औरंगाबाद में एक गर्भवती महिला पर सीपी द्वारा अत्याचार किए जाने जानकारी भी मिली। बेगुनाहों पर दर्ज किए गए झूठे मामले वापस लेने की मांग मुंडे ने की।

एनसीपी के जयदेव गायकवाड ने कहा कि भीमा-कोरेगांव में पिछले 200 साल से एक जनवरी को बड़ी संख्या में लोग दर्शऩ करने आते हैं। संभाजी महाराज की समाधि पर भी बड़ी संख्या में लोग मत्था टेकने जाते हैं। कभी यहां हिंसक घटना नहीं हुई। इस साल किसके इशारे पर भीमा कोरेगांव में हिंसक घटना हुई। सरकार को जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस के भाई जगताप, शऱद रणपिसे सहित कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार आपत्ति जताते हुए सरकार से जवाब मांगा।
एनसीपी के सुनील तटकरे ने घटना को गंभीर बताते हुए सदन में चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष ने नियम 289 के तहत बहस कराने की मांग की। सभापति ने इस मांग को ठुकरा दिया, जिससे विपक्ष के सदस्य नाराज हो गए और नारेबाजी करने लगे। विपक्ष ने सरकार के विरोध में जमकर नारे लगाए। हालांकि सभापति ने नियम 97 के तहत चर्चा कराने पर सहमति जताई लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा।

विपक्ष के हंगामे के कारण सभापति ने सदन का कामकाज 20 मिनट के लिए रोक दिया। सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर विपक्ष अपनी मांग को लेकर फिर हंगामा करने लगा। आखिरकार शोरगुल और हंगामे के बीच सभापति ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad