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Wednesday, 2 May 2018

सच लिखने वाले पत्रकारों को सजा मौत, छोटा राजन ने करवाई थी पत्रकार जे डे की हत्या, जाने पूरा मामला…


मुंबई। 11 जून 2011 को मुंबई के पवई इलाके में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या छोटा राजन के इशारे पर की गई थी। दो साल पहले जब राजन को इंडोनेशिया से लाया गया था तब यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। पत्रकार ज्योर्तिमय डे (जे डे) हत्याकांड में मुंबई की मकोका कोर्ट ने बुधवार को छोटा राजन समेत 9 लोगों को दोषी करार दिया। पत्रकार जिग्ना वोरा और एक अन्य आरोपी पालसन को बरी कर दिया।

छोटा राजन हत्या और साजिश रचने का दोषी

कोर्ट ने छोटा राजन को जे डे की हत्या, हत्या की साजिश रचने का दोषी करार दिया। कोर्ट गुरुवार को ही सजा सुना सकता है।

जे डे की साथी महिला पत्रकार जिग्ना वोरा और एक अन्य आरोपी पालसन को सबूतों के अभाव में बरी किया गया।

जिग्ना पर राजन को जे डे के खिलाफ उकसाने का आरोप था।

12 में से 11 आरोपियों पर फैसला
इस केस में छोटा राजन और पत्रकार जिग्ना वोरा समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से एक आरोपी विनोद असरानी उर्फ विनोद चेंबूर की मौत हो चुकी है।
इस मामले में सरकारी वकील प्रदीप घरात ने 155 गवाहों को पेश किया। छोटा राजन का जो वॉइस सैम्पल लिया गया था, वो भी मैच हो गया था। इसकी रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गई। राजन के खिलाफ और भी सबूत मिले थे।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनाया फैसला
छोटा राजन के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद राजन के खिलाफ सभी मामलों की सुनवाई के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होती रही है।
राजन को छोड़कर बाकी 10 आरोपी फैसला सुनने के लिए कोर्ट में मौजूद रहे। कड़ी सुरक्षा के बीच जज समीर एडकर ने फैसला सुनाई।

राजन के खिलाफ लिखने की वजह से हत्या का आरोप
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, जे डे राजन के खिलाफ लिखते थे, जबकि दाऊद का महिमामंडन करते थे। इसलिए उनकी हत्या करवा दी गई थी।

राजन ने न्यूज चैनलों को फोन पर दी थी सफाई
छोटा राजन के खिलाफ आरोप था कि जे डे की हत्या के बाद जब हंगामा हुआ, तब राजन ने कई न्यूज चैनलों के दफ्तरों में फोन किए और कहा कि वह जे डे को सिर्फ धमकाना चाहता था। उसका इरादा हत्या का नहीं था। अभियोजन पक्ष ने इसी रिकॉर्डिंग को अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया।

क्या है चार्जशीट में?
चार्जशीट के मुताबिक, जे डे की हत्या के लिए उन दिनों विदेश में बैठे राजन ने शूटर सतीश कालिया और उसके साथियों की मदद ली थी। एक दूसरी पत्रकार जिग्ना वोरा ने जे डे की पहचान कराने में राजन के गुर्गों की मदद की थी।

सामने आया था सीसीटीवी फुटेज
हत्याकांड के बाद एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फुटेज में दिखने वाले लोग वही हमलावर थे जो जे डे का पीछा करते थे। मुंबई पुलिस ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाताया था कि हमलावर कैसे जे डे का पीछा करते थे।

क्या थी बचाव पक्ष की दलील?
बचाव पक्ष का कहना था कि अभियोजन पक्ष ने सबूत सही तरीके से अदालत में पेश नहीं किए। छोटा राजन के वकील अंशुमन सिन्हा का कहना था अभियोजन पक्ष के मुताबिक छोटा राजन ने पूरी साजिश रची थी। लेकिन हमारा यही कहना है कि ये कॉल्स फर्जी थे और इसकी कोई जानकारी छोटा राजन को नहीं थी।
वहीं संतोष देशपांडे, सतीश कालिया और दो अन्य आरोपियों के वकील का कहना है कि अदालत में ये सभी सबूत नहीं लाए गए थे।

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