आज भी कहीं फसाद होता है तो कांप जाता हूं, सरहद के पार भी हैं हम जैसे ही आम लोग: गुलजार | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Saturday, 16 June 2018

आज भी कहीं फसाद होता है तो कांप जाता हूं, सरहद के पार भी हैं हम जैसे ही आम लोग: गुलजार

दैनिक भास्कर समूह और आरुषि परिवार के सौजन्य से शहरवासियों को ईद के मौके पर शनिवार को खास सौगात मिली। मौका था 'एक गुलजार शाम' कार्यक्रम में शायर-फनकार गुलजार से रूबरू होने का। उन्होंने मीठी ईद की दिली मुबारकबाद से शुरुआत करके दो घंटे तक ऐसा समां बांधा कि नज़्मों का सैलाब उमड़ पड़ा। उन्होंने ज़िंदगी को छूती, कभी मासूमियत, कभी रुहानी तो कभी पार्टिशन के दर्द को बयां करती नज़्में सुनाईं। इनके जरिए गुलज़ार ने फ्रीडम ऑफ स्पीच की भी बात की और कर्नाटक में मारी गई पत्रकार गौरी लंकेश और लेखक एमएम कलबुर्गी को याद किया।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें आगे पढ़ें

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad