नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी में कूड़े के पहाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है, वे लोग जो उपराज्यपाल के प्रति जवाबदेह हैं, या वे लोग जो मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हैं? न्यायालय ने बुधवार को जवाब देने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से इस बारे में हलफनामा देने के लिए कहा है कि दिल्ली में कूड़े की सफाई के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए और कचरा प्रबंधन किसके अधिकार क्षेत्र में आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि दिल्ली कूड़े के नीचे दबी जा रही है। मुंबई पानी में डूब रही है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इस हालात पर विवशता का इजहार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब अदालतें हस्तक्षेप करती हैं, तो जजों पर आरोप लगाया जाता है कि न्यायपालिका अतिसक्रियता दिखा रही है। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने अफसोस जताते हुए कहा कि जब सरकार ही कुछ नहीं कर रही तो क्या किया जा सकता है।
पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार से इस संबंध में बुधवार तक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार के लिए तय कर दी। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली कचरे के पहाड़ के नीचे दबी जा रही है और मुंबई पानी में डूब रहा है, लेकिन सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने ठोस कचरा प्रबंधन संबंधित अपनी नीतियों पर हलफनामा दाखिल न करने पर 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों पर जुर्माना लगा दिया। शीर्ष अदालत ने इसके पहले केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर एक चार्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था कि क्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप राज्यस्तरीय सलाहकार बोर्ड गठित कर लिए हैं या नहीं। न्यायालय ठोस कचरा प्रबंधन नियम के क्रियान्वयन से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था।
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