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Wednesday, 11 July 2018

जांच रिपोर्ट के लिए एकसमान फॉर्मेट जल्द तैयार किया जाए : चुनाव आयोग

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सीबीडीटी चेयरमैन को पत्र लिख कर कहा है कि जिन उम्मीदवारों की संपत्ति और देनदारी चुनावी हलफनामे से नहीं मिलती उनकी जांच रिपोर्ट के लिए एकसमान फॉर्मेट जल्द तैयार किया जाए। साथ ही ये फॉर्मेट को चुनाव आयोग को दिया जाए।

जानकारी के अनुसार सीबीडीटी एकसमान फॉर्मेट बनाकर पांच कैटेगरी के आधार पर उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामे की जांच करे। आयोग ने इस पत्र का जवाब तत्‍काल देने के लिए भी कहा है।

बता दें कि 2013 में चुनाव आयोग और सीबीडीटी के बीच उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामे की जांच के लिए पांच कैटेगरी तय की गई थीं। इसमें कैटेगरी A में चुनाव आयोग की तरफ से अगर कोई विशेष मामला सीबीडीटी को जांच के लिए बताया गया हो। कैटेगरी B में उस चुनावी एफिडेविट की जांच हो जिसमें पिछले चुनाव के हलफनामे की तुलना में मौजूदा चुनावी हलफनामे में असाधारण वृद्धि दर्ज की गई है।

कैटेगरी C में विजयी उम्मीदवारों का मामला और हलफनामे की सत्यता विजयी उम्मीदवार के आयकर की तुलना में करना शामिल है। कैटेगरी D में उन उम्मीदवारों का एफिडेविट जिसमें पैन कार्ड का विवरण नहीं है और चल-अचल संपत्ति 5 करोड़ से अधिक हो की जांच करना शामिल है। कैटेगरी E में उन उम्मीदवारों के मामले शामिल हैं जिनमें अचल संपत्ति पिछले चुनावी हलफनामे की तुलना में मौजूदा हलफनामे में 2 करोड़ से अधिक बढ़ गई है।

गौर करनेवाली बात है कि चुनाव आयोग की तरफ से सीबीडीटी को एक पत्र लिखा गया था कि वो जांच रिपोर्ट की जानकारी वेबसाइट पर डालना चाहते हैं। इस संबंध में सीबीडीटी ने जवाब दिया था कि ये जानकारी पब्लिक डोमेन में रखना आयकर कानून, 1961 की धारा 138 के तहत संभव नहीं है और अगर ऐसा कोई करता है तो इसके तहत सज़ा का प्रावधान है।

चुनाव आयोग सीबीडीटी को लिखे कल के पत्र के जवाब के बाद आनेवाले दिनों में फैसला करेगा कि चुनावी हलफनामे की जांच रिपोर्ट की जानकारी पब्लिक डोमेन में रखनी चाहिए कि नहीं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग पब्लिक डोमेन में डालने के पक्ष में है लेकिन आयोग जांच रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में डालने का फैसला करता है कि नहीं यह आनेवाले वक्‍त में पता चलेगा।

जांच रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में रखने से पता चल सकेगा कि किस उम्मीदवार ने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति और देनदारी की जानकारी गलत दी है या छुपाई है। अगर भविष्य में चुनाव आयोग जांच रिपोर्ट की जानकारी पब्लिक डोमेन में रखता है तो उन उम्मीदवारों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी जो गलत जानकारी देते हैं।

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