पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों के साथ यौनाचार मामले में सोमवार को बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षियों पर पलटवार करते हुए कहा कि आज ऐसे लोग धरना और कैंडल मार्च कर रहे हैं, जिनके महिलाओं पर दिए
गए बयान की चौतरफा निंदा हुई थी। उन्होंने कहा कि जो लोग आज सवाल पूछ रहे हैं, वे टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस)
के सर्वेक्षण से पहले सवाल क्यों नहीं पूछ रहे थे। उन्होंने सिस्टम में खामियों की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में आश्रय गृह स्वयंसेवी संस्था नहीं
बल्कि सरकार खुद चलाएगी।
पटना में जनसंवाद कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि इस मामले के प्रकाश में आने के बाद सरकार
ने कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि विभाग ने ही सर्वेक्षण का कार्य करवाया था, उसके पहले किसी को इसके बारे में क्या मालूम था?
उन्होंने मामले में चुप रहने के आरोप पर कहा, “इस मामले में गलतबयानी हो रही है। सदन में मैंने इस मामले में वक्तव्य दिया है, तो फिर चुप्पी का
सवाल कहां?“
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा, “इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। लोगों ने भ्रम फैलाना शुरू किया और मुझे जैसे ही
इस मामले की जानकारी मिली मैंने तुरंत सीबीआई जांच की बात की। उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच करवाने की पहल की।“
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर की घटना अत्यंत शर्मनाक है, इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। ऐसी घटना को सरकार बर्दाश्त नहीं कर
सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आश्रय गृह गैर सरकारी संस्थाएं नहीं, सरकार चलाएगी। इसे चरणबद्घ तरीके से लागू किया जाएगा।
समाज कल्याण विभाग मंत्री मंजू वर्मा के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर वह भी दोषी होंगी तो वह भी जाएंगी। लेकिन, बिना कारण
किसी पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि मंत्री ने भी इस मामले पर अपना पक्ष रखा है।
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