बाराबंकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आम बजट में 3 लाख रुपए या उससे अधिक के कैश लेनदेन पर पाबंदी का प्रस्ताव रखा था। केंद्र सरकार ने ब्लैक मनी पर लगाम कसने को लेकर गठित एसआईटी की सिफारिश के आधार पर 3 लाख से अधिक के कैश ट्रांजैक्शंस पर रोक लगाई थी। बजट के दौरान सरकार ने इस प्रावधान का ऐलान किया था। इस नियम की शुरुआत 1 अप्रैल से ही हो गई थी। कैश ट्रांजैक्शन की सीमा 2 लाख रुपए हो गई है। यानी आप यदि किसी से 2 लाख या उससे अधिक का कैश स्वीकार करते हैं तो आपको 100 फीसदी जुर्माना चुकाना होगा।
इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि यदि आप चार लाख रुपए कैश लेते हैं तो आपको 4 लाख रुपए का ही जुर्माना देना होगा। इसी तरह 50 लाख रुपये नकद लेने पर जुर्माना राशि 50 लाख रुपए होगी। यह जुर्माना उस व्यक्ति पर लगेगा, जो नकद स्वीकार करेगा। सरकार का मानना है कि बड़े पैमाने पर कैश ट्रांजैक्शंस को रोके जाने से काले धन के बनने की प्रक्रिया को रोका जा सकेगा फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने फाइनेंस बिल पेश किया था। इस बिल में कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट को लेकर अमेंडमेंड किया गया था।
हाईकोर्ट, केंद्र सरकार के नियम भी बाराबंकी पुलिस प्रशासन के ठेंगे पर
लेकिन इस नियम को बाराबंकी का प्रशासन ताक पर रखे हुए है। यहां 7 लाख रुपये नगद कैश देने वाले दबंग भू-माफिया को पुलिस अधीक्षक बाराबंकी वीपी सिंह का संरक्षण प्राप्त है। आरोप है एसपी ने एक निर्दोष पर जमीन के लिए दिए गए इस पैसे की वसूली के लिए धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा दिया। पीड़ित का आरोप है कि एसपी का निर्देश मिलने के बाद स्थानीय चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी घर में मौजूद उनकी बुजुर्ग माँ को प्रताड़ित कर पैसे देने का दबाव बना रहे हैं। इतना ही नहीं न्यायलय से स्टे होने के बावजूद पुलिसकर्मी पीड़ित के घर जाकर कुर्की करने की धमकी दे रहे हैं।
जनसुनवाई पोर्टल पर लगाई फर्जी आख्या, समस्या का दिखाया गया निस्तारण
पुलिसकर्मियों की प्रताड़ना के से तंग आकर पीड़ित ने घर छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस बयान लेने के बहाने पीड़ित को गिरफ्तार करने की तैयारी में है, जबकि पीड़ित के खिलाफ पुलिस के पास एक भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। पीड़ित आरोप है कि दबंग भू-माफिया से मिलीभगत होने के कारण पुलिस अधीक्षक इस मामले में निजी रुचि ले रहे हैं। पुलिस के इस रवैये से पीड़ित काफी आहत है। पीड़ित ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई लेकिन यहां से न्याय तो नहीं मिला। परंतु फर्जी आख्या लगाकर मामले का निस्तारण दिखा दिया गया।
कप्तान के ठेंगे पर सीएम और डीजीपी का आदेश
पिछले दिनों सीएम योगी ने पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि जनता के साथ सही ढंग से पेश आएं।वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ( DGP) ओम प्रकाश सिंह (ओपी सिंह) ने मातहतों को प्रमुख रूप से जनता के साथ मित्रवत व्यवहार रखते हुए अपनी कार्य क्षमता का शत्-प्रतिशत योगदान देनें हेतु निर्देशित किया। लेकिन बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक बीपी श्रीवास्तव के सीएम और डीजीपी के निर्देश ठेंगे पर हैं। बताया जा रहा है कि एक सीनियर आईएएस अधिकारी के कहने पर एसपी ने नगर कोतवाली में एक बेगुनाह पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवा दिया। मुकदमा पंजीकृत होने के बाद पीड़ित मानसिक रूप से परेशान हो गया है।
पीड़ित का आरोप है कि नगर कोतवाली प्रभारी जन्मेजय सचान से विपक्षियों ने साठगांठ करके उसे फंसाया है। पीड़ित का कहना है कि इस मामले में एसपी काफी रूचि ले रहे हैं। हालांकि इस संबंध में थाना प्रभारी ने बताया कि उनके ऊपर ऊपर से दबाव है, वह कुछ नहीं कर सकते। पीड़ित का आरोप है कि विपक्षी लोग एक सीनियर आईएएस अधिकारी का गाजियाबाद से लेकर कई जिलों में कालाधन सफेद करने के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त करते हैं।
बयाने के एवज में कुछ रुपये देखर फिर स्थानीय पुलिस से सांठगांठ कर मुकदमा दर्ज करवाकर रुपये ऐंठने का भी काम करते हैं। हालांकि इस मामले में पीड़ित के खिलाफ पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। पीड़ित की स्थानीय पुलिस और प्रशासन में सुनवाई ना होने पर उसने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की है। पीड़ित के अनुसार ये मुकदमा करीब 7.5 लाख रुपये के नगद लेनदेन को लेकर उसके ऊपर दर्ज कराया गया है। लेकिन जब पीड़ित का इस मामले से कोई लेना देना नहीं और ना ही उसने पैसे लिए हैं तो पुलिस उस पर क्यों पैसे देने का दबाव बना रही है।
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