चेन्नई। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन से जुड़े मामले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति ए अरुमुगस्वामी जांच आयोग ने अब तक 100 गवाहों से पूछताछ पूरी कर ली है। आयोग का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है। इसके अलावा 25 सितंबर तक 57 गवाहों से जिरह की गई तथा जयललिता की सहयोगी रही वीके शशिकला की ओर से पेश हुए वकील गुरुवार से अपोलो अस्ताल के चिकित्सकों समेत 11 और लोगों से जिरह करेंगे।
जयललिता के निजी चिकित्सक रहे डॉ. के एस शिवकुमार को फिर से पूछताछ के लिए 28 सितंबर को पेश होने के लिए सम्मन भेजा गया है। शिवकुमार पांचवीं बार पेश होंगे और समिति ने उनसे 2014 तथा 2016 के बीच दिवंगत नेता का इलाज करने वाले डॉक्टरों तथा उन्हें बताई गई दवाओं की सूची देने के लिए कहा है। जिन लोगों को तलब किया गया है उनमें से कुछ ने स्थगन आदेश की मांग की है।
इनमें नीलगिरि जिले के बैंक प्रबंधक आलोक कुमार तथा दो और लोग शामिल है जो अभी विदेश में हैं। अपोलो अस्पताल की रेडियोलॉजिस्ट डॉ मीरा और आपात चिकित्सक थावा पझानी को भी 28 सितंबर को पेश होने के लिए कहा गया है।
कुछ दिन पहले अस्पताल की चिकित्सक डॉ. अर्चना ने समिति को बताया था कि मई में जारी की गई ऑडियो क्लिप निश्चित तौर पर अस्पताल में रिकॉर्ड की गई थी जब जयललिता का वहां इलाज चल रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री को उनके अंतिम दिनों के दौरान अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आपात चिकित्सक डॉ. स्नेहसरी ने भी बताया था कि जब वह जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराने से कुछ घंटे पहले 22 सितंबर 2016 को उनके पोस गार्डन स्थित आवास पर गई थीं तो दिवंगत नेता काफी सुस्त तो थीं, लेकिन होश में थीं।
अन्नाद्रमुक नेता पी मनोज पांडियन ने जिरह के दौरान शशिकला को पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की कथित ”रहस्यमयी’’ परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। वह 25 सितंबर को जांच समिति के समक्ष पेश हुए थे। जयललिता का विभिन्न बीमारियों के चलते 75 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद पांच दिसंबर 2016 को निधन हो गया था।
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