लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि उ0प्र0 की राजधानी लखनऊ व राज्य के अधिकांश जिलों में पिछले कई दिनों से हो रही बारिश की वजह से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है, लगातार हो रही बारिश से उ0प्र0 की जनता बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हो गयी है। खासतौर पर वाराणसी, इलाहाबाद, आजमगढ, बलिया, गाजीपुर और गोडा, बलरामपुर, बहराइच, बाराबंकी, सीतापुर में गंगा, यमुना और घाघरा तथा गोमती के साथ ही सहायक नदियां उफान पर है, इससे इन जिलों के गांव के गांव जल मग्न हो गये हैं। लेकिन सरकार राहत एवं बचाव कार्य में पूरी तरह से असफल साबित हो चुकी है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में जानलेवा बारिश की वजह से पिछले 48 घण्टों में 16 की मौत हो गयी है और 12 जख्मी हो गये है। उत्तर प्रदेश में इस साल मानसून की बारिश में 254 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि गांव के गांव जल मग्न होने से ग्रामीणवासियों को अपने परिवार के साथ साथ अपने पशुओं को लेकर गांव से पलायन करना पड़ रहा है और प्रदेश सरकार राहत एवं बचाव कार्य के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है। आपदा क्षेत्रों में न तो प्रदेश सरकार द्वारा खाद्य सामग्री पहुचाई जा रही है और न ही पशुओं के लिए चारे की कोई व्यवस्था की जा रही है। बाढ़ के कारण बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को सांप काट रहे हैं और उनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है अस्पतालों में इस सम्बन्ध में किसी तरह के कोई टीकों की व्यवस्था नहीं की गयी है। साथ ही अन्य जलीय जीव जन्तुओं का खतरा भी लोगो को बना हुआ है।
प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 की जनता को खिलौना समझने वाली प्रदेष सरकार जनता के जनजीवन से मनोरंजन करना बंद करे और राहत एवं बचाव कार्य युद्व स्तर पर शुरू करें जिससे बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगो का जनजीवन सुधारा जा सके। साथ ही बाढ़ के विकराल रूप से मौत का शिकार हुये लोगों के परिजनों को 20-20 लाख रूपये तथा क्षतिग्रस्त फसलों का आंकलन कराकर उचित मुआवजा दिया जाय जिससे बाढ से हुयी जन-धन हानि की पूर्ति हो सके।
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Tuesday, 4 September 2018
बाढ़ से मौत का शिकार हुये लोगों के परिजनों को 20-20 लाख दे सरकार : रालोद
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