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Sunday 30 September 2018

विवेक तिवारी मामला : नशे में थे दोनों सिपाही, मेडिकल कराने में जानबूझ कर लगाये गये 8 घंटे!

घटना के बाद पुलिस कर्मियों को कर दिया गया नजरबंद

लखनऊ। विवेक की हत्या की चश्मदीद गवाह सना पुलिस ने नजर बंद सा कर अपनी कडी सुरक्षा में ले लिया था। डर था कि कहीं सना पुलिस की कहानी भांडाफोड न कर दे। इसलिए सना पर पहरा बैठा दिया गया। घटना के बाद सना के साथ कई महिला पुलिस कर्मी उसके साथ साय की तरह घेरे हुये थे।इस दौरान उसे किसी से बात करने से भी रेाका गया।
घटना के बाद विवेक को अस्पताल ले जाते समय पुलिस के साथ सना भी साथ में थी। यहां कुछ देर बाद ही विवेक के घर वाले भी आ गये थे। इस बीच ही पुलिस ने सना को वहां से हटा दिया और उसे कैसरबाग कोतवाली भेज दिया गया। वह विवेक के बारे में पूछती रही लेकिन उसे कुछ भी नहीं बताया गया। यहां कुछ देर बाद उसे महिला सिपाहियों ने अपनी सुरक्षा में ले लिया। इसके बाद उसे जीप में बैठा कर गोमतीनगर थाने लेकर आये। यहां उससे सबने जानकारी लेना षुरू किया तो उसे घटनाक्रम बताते हुए बिलखने लगी। हालात को भांपते हुए पुलिस अधिकारियों ने सना को विनयखण्ड स्थित उसके घर भेज दिया। भूपेन्द्र के मकान में किराए पर रहने वाली सना के साथ पुलिस वालों को देख मोहल्ले वाले भी सन्न रह गए। महिला सिपाही सना को लेकर मकान में दाखिल हुईं, और बाहर पुलिस कर्मियों का पहरा बिठा दिया गया। जिसने भी मकान के करीब जाने का प्रयास किया, उसे वहां से भगा दिया गया।

बताते चले कि शुक्रवार देर रात लखनऊ के गोमती नगर में मकदूमपुर पुलिस चैकी के पास दो सिपाहियों ने एसयूवी में सवार ‘ऐपल’ के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी को गोली मार दी थी। गोली लगते ही विवेक की मौके पर ही मौत हो गई थी। यह देखते ही दोनों आरोपी सिपाही मौके से भाग निकले। दूसरे पुलिस कर्मियों ने विवेक को अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

लखनऊ। नियमों के तहत पुलिस को घटना के दौरान पीडित और आरोपी का तत्काल मेडिकल कराना चाहिये। लेकिन, विवेक तिवारी के हत्यारे सिपाहियों का मेडिकल कराने में पुलिस ने आठ घंटे देरी की है जो पुलिस के कार्य षैली पर उंगलियां उठना तय है। घटना शुक्रवार रात 2 बजे हुई जबकि गोमतीनगर पुलिस ने सिपाही प्रशांत चैधरी और संदीप कुमार का मेडिकल शनिवार सुबह करीब 10 बजे कराया। लोगों का आरोप है कि दोनों सिपाही शराब के नशे में धुत थे। इसलिए पुलिस ने उनका मेडिकल आठ घंटे की देरी से कराया ताकि उनके नशे में होने की पुष्टि न हो सके।

लोगों का यह भी कहना है कि अधिकारी पूरी रात मामले को एनकाउंटर साबित करने की कहानी बनाने की कोषिष करते रहे। इस प्रकरण में विवेक को दोषी साबित करने की कहानी एसएसपी कलानिधि नैथानी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में रची जाती रही। इसमें नाकाम रहने पर पुलिस ने शनिवार सुबह सिपाहियों का मेडिकल करवाया। आरोपी सिपाहियों के मुताबिक विवेक ने उन्हें तीन बार गाड़ी से रौंदने की कोशिश की थी। इस दौरान वह गिर गए थे और उनके पास मौजूद सरकारी बाइक क्षतिग्रस्त हो गई। हैरतंगेज बात यह है कि इन सबके बावजूद दोनों सिपाहियों को एक खरोंच तक नहीं आई। वारदात के बाद दोनों थाने पहुंचे और वहां मौजूद अधिकारियों को अपनी कारस्तानी को वीरता की कहानी बताकर सबके सामने अपने आप को निर्देष साबित करने का ढोग करते रहे।

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