नॉक-नॉक: इन शानदार तकनीकों के जरिए भविष्य आपके जीवन में दस्तक दे रहा है
वर्चुअल रियलिटी को पीछे छोड़ते हुए भविष्य में ऐसी तकनीकें इंसानी सभ्यता के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं जो आम इंसान के जीने के अंदाज को बदलकर रख देंगी।
नई दिल्ली। तकनीकी क्रांति ने इंसानी जीवन को सहज करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और वर्चुअल रियलिटी को पीछे छोड़ते हुए भविष्य में ऐसी तकनीकें इंसानी सभ्यता के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं जो आम इंसान के न केवल जीने के अंदाज बल्कि उससे जुड़ी हर चीज को बदलकर रख देंगी। दुनिया के जाने- माने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा चुनी गई इन क्रांतिकारी तकनीकों की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने सूची जारी की है।
ऑगमेंटेड रियलिटी
ऑगमेंटेड रिएलिटी एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें स्मार्टफोन, टैबलेट या किसी सॉफ्टवेयर के जरिए रियल लाइफ इमेज के ऊपर वर्चुअल इमेज या एनिमेशन का इस्तेमाल कर पेश किया जा सकता है। इसका सबसे आसान उदाहरण पोकेमोन गो है। इसमें यूजर्स अपनी रियल लाइफ एनवायरमेंट में फोन के जरिये पोकेमोन को देख पाते हैं। भविष्य में चिकित्सा विज्ञान के लिए ये तकनीक क्रांतिकारी साबित हो सकती है। इसमें सर्जन 3डी की मदद से त्वचा के अंदर ऊतक को देख सकेंगे।
पर्सनलाइज्ड मेडिसिन
उन्नत डायग्नोस्टिक तकनीक के तहत मरीज के सुरक्षा तंत्र और बीमारी की गंभीरता को समझते हुए दवाई बनाई जा सकेगी। वर्तमान में इस तकनीक का इस्तेमाल सर्जरी के बिना कैंसर, एंडोमेट्रिओसिस के इलाज में किया जा रहा है। साथ ही ऑटिज्म और दिमागी बीमारियों में भी इसकी मदद ली जा रही है।
एआइ आधारित मॉलिक्युलर डिजायन
नई दवा तैयार करने के लिए शोधार्थी और वैज्ञानिक लंबे समय तक शोध करते हैं। अब यह बीती बात होगी। एआइ आधारित मॉलिक्युलर डिजाइन में मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के जरिए दवा के पैटर्न, मात्रा, प्रभाव और परिणामों का विश्लेषण करते हुए असरकारक दवा तैयार की जा सकेगी। साथ ही बार-बार रिसर्च में बर्बाद होने वाले केमिकल को बचाया जा सकेगा। दवा उद्योग में ये तकनीक नई दवाओं की पहचान और खोज में तेजी से मदद करेगी।
डिजिटल हेल्पर
कॉल करने, म्यूजिक बदलने या मौसम जानने के लिए लोग सिरी, एलेक्सा या गूगल असिस्टेंट जैसे एआइ की मदद लेते हैं, लेकिन भविष्य में इंसान के पास ज्यादा स्मार्ट विकल्प होंगे। बिना ट्रेनिंग ये एआइ असिस्टेंट यूजर की जरूरत संबंधी विषयों की सूची क्लाउड पर सुरक्षित कर लेगा। जैसे डॉक्टर किसी पेचीदे मेडिकल केस से जूझ रहा हो, तो उसे उससे संबंधित पूर्व के कई ऐसे मामले और उनमें उठाए गए कदमों की जानकारी मिल सकेगी।
ड्रग सेल्स
गंभीर बीमारी में लोगों को लंबे समय तक कई दवा खानी पड़ती हैं। ऐसे में कब कौन सी दवा लेनी है याद रखना मुश्किल होता है। इसी परेशानी को देखते हुए डॉक्टर मरीज के शरीर के अंदर नन्हीं सी दवा फैक्ट्री इंस्टाल करने की तैयारी में हैं। इसमें शरीर के अंदर मौजूद दवा हर रोज जरूरत की मात्रा के हिसाब से असर करती रहेगी और इसका इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा।
लैब में तैयार मांस
कई कंपनियां करोड़ों रुपये निवेश कर रही हैं। इसके स्वाद को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया रही है। लेकिन तकनीक जिस तेजी से बढ़ रही है जल्द ही बिना जानवरों को मारे बतख, मुर्गी और बकरी के मांस का विकल्प प्रयोगशाला में तैयार होगा।
जीन ड्राइव
जीन में फेरबदल विवादों के साथ नैतिकता के सवाल खड़े करता है। जीन ड्राइव भी इसी से मिलती-जुलती तकनीक है जिसमें रोगों से लड़ने की अपार ताकत है। जैसे मलेरिया फैलाने वाले मच्छर की प्रजाति का ही उन्मूलन करना। हाल में आई क्रिस्पर तकनीक ने इसे और आसान किया है।
प्लाज्मोनिक मैटेरियल
यह कुछ उस तरह की तकनीक है जिसकी मदद से मिस्टर इंडिया की तरह अदृश्य हुआ जा सकेगा। यह तकनीक इलेक्ट्रॉन क्लाउड्स और प्रकाश को नैनोस्केल पर परिवर्तित कर सकती है। इसके अलावा मैग्नेटिक मेमोरी स्टोरेज और बॉयोलॉजिकल सेंसर की सेंसिविटी में वृद्धि संभव है।
इलेक्ट्रोस्यूटिकल्स
इस तकनीक में रोगी को ठीक होने के लिए दवा नहीं खानी होगी। उसके रोग का इलाज विद्युत चुंबकीय झटकों से किया जाएगा। सभी अंगों को जिस प्रणाली द्वारा दिमाग संकेत भेजता है वह वेगस तंत्रिका इसके केंद्र में होगी। मिर्गी और अवसाद का इलाज एक दशक से इसी तरीके से किया जा रहा है। आने वाले दिनों में माइग्रेन, मोटापा और गठिया का इलाज भी इससे होगा।
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