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Saturday 29 September 2018

कौशलयुक्त गरीबों के उत्थान के लिए ’जियो! लिव इट’

नई दिल्ली। कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने वाली गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संस्था द एशियन हेरिटेज फाउंडेशन ने आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन कौशलयुक्त तबकों के उत्थान और आजीविका के लिए ’जियो! लिव इट’ परियोजना की शुरुआत की है। संस्था ने शनिवार को एक बयान में कहा कि ’जियो! लिव इट’ नामक यह संपर्क कार्यक्रम 2 से 20 अक्टूबर तक चलेगा जिसकी शुरुआत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान करेंगे।

बयान में कहा गया कि एशियन हेरिटेज फाउंडेशन की पहल जियो! प्रोजेक्ट एक स्वदेशी ब्रांड है, जिसे जापान सामाजिक विकास निधि द्वारा आर्थिक सहयोग मिल रहा है तथा विश्व बैंक द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है। जियो ’झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश के सुविधाहीन जनजातीय समुदायों के लिए समावेशी व्यावसायिक मॉडलों का निर्माण’ नामक इस परियोजना की शुरुआत साल 2014 में हुई थी, जिसका उद्देश्य इन समुदायों के लिए आजीविका के उपाय करना और पारंपरिक कौशल वाले क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना है।

एशियन हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक राजीव सेठी ने बताया, “ग्रामीण भारत के उत्पादों को शहरी बाजार के साथ ही लक्जरी बाजारों तक पहुंचाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई है। ताकि गरीबों को अपने कौशल का उचित मूल्य मिले। ताकि वैश्विक बाजार के उपभोक्ता सीधे उन गरीब कारीगरों से खरीद कर सकें, जो यहां आजीविका की समस्या से जूझ रहे हैं।“

बयान में कहा गया कि वर्तमान में यह परियोजना एशियन हेरिटेज फाउंडेशन (एएचएफ) द्वारा चलाई जा रही है, जिसका लक्ष्य गांवों में रहनेवाले कारीगरों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाना है। इसके लिए संस्था हस्तकरघा उद्योग में नए-नए डिजायन और नवोन्मेष लाकर बड़े पैमाने पर एक उद्योग की तरह उनके सामानों की बिक्री करेगी।

संस्था ने 18 उत्पादक समूह/कंपनियों का निर्माण किया है, जिसका प्रबंधन कारीगरों के ही हाथ में है। राज्य सरकार और जिला शासन की भागीदारी से एएचएफ का लक्ष्य इन हस्तकरघा उत्पादों को जियो और जानी ब्रांड नाम से बाजार में बिक्री के लिए उतारना है, जबकि स्थानीय बाजार में इन उत्पादों की बिक्री जीवा ब्रांड नाम से की जाएगी।

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