नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में ’प्रत्येक पहलू’ से जांच पूरी कर ली है। एजेंसी ने अदालत से मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की मांग की है। सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की एक पीठ को बताया कि एजेंसी ने मामले से संबंधित ’प्रत्येक चीज’ का विश्लेषण किया है और अब वह मामले को बंद करने की मांग करने वाली क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है।
अहमद की मां फातिमा नफीस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्वेस ने अदालत से अनुरोध किया कि वह मामले की फिर से जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दे या अन्य विशेष जांच टीम द्वारा आगे की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस विशेष टीम में इस जांच एजेंसी से ताल्लुक रखने वाला कोई अधिकारी नहीं होना चाहिए।
गोन्साल्वेस ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें एजेंसी द्वारा दाखिल मामले की स्टेटस रिपोर्ट दी जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं की और उसने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों को हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर संगठन के सदस्यों को बचाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मामले को राजनीतिक रूप से प्रभावित किया गया क्योंकि भाजपानीत केंद्र सरकार उन एबीवीपी सदस्यों को बचा रही है, जिन्होंने अहमद को धमकाया था।
उनका जवाब देते हुए सीबीआई ने कहा कि यह केवल अनुमान है।
अदालत ने कहा कि वह सीबीआई को मामले की स्टेटस रिपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंपने का निर्देश नहीं दे सकती।
लेकिन, पीठ ने कहा कि प्रक्रिया के मुताबिक, अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने के बाद याचिकाकर्ता को जांच की विस्तृत रिपोर्ट मिल सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि एक बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने के बाद याचिकाकर्ता मामले को कानूनी रूप से उठा सकते हैं।
पीठ ने अहमद की मां फातिमा नफीस द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
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