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Thursday, 27 September 2018

निरर्थक तीर से राजनीति के मजे

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐलान किया कि राजनीति में अभी और मजे आएंगे, वह सरकार पर राफेल डील जैसे कई आरोप लगाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष की नजर में ऐसे विषय किस श्रेणी के है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। उनकी दलील भी इसी को प्रमाणित करती है। वह जो दाम बता रहे है, उतने में सवा सौ राफेल विमान आ जाते, लेकिन दस वर्ष में एक भी विमान नहीं मिला। जो दस वर्ष में साइकिल कमानी और मेगा फ़ूड पार्क नहीं बनवा सके, वह अमेठी में राफेल विमान बनवाने की बात कर रहे है, दस वर्ष में एक तिनका भी इधर से उधर नहीं हुआ। जिन लोगों ने यूपीए शासन में छब्बीस लाख करोड़ रुपये फोन से पूंजीपतियों को बात दिए, वह नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा रहे है। कह रहे है कि मोदी ने गरीबों की जेब से पैसे निकाल कर अम्बानी, माल्या, नीरव को दे दिए। जबकि इन्हें यूपीए ने ही तैयार किया था। जीएसटी लागू करना यूपीए की जिम्मेदारी थी। वह नाकाम रही।

भाजपा ने प्रयास किया, इसे पारित कराने में कांग्रेस सहयोगी थी। लेकिन मौका देखकर मुकर गई। जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताया जा रहा है। जबकि इसके सभी प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल ने सर्वसम्मत्ति से पारित किए गए। इसमें कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी शामिल थे। इन सभी बातों पर मजे ही लिए जा सकते है। उन्होंने ये सभी बात अपने निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में दोहराई। अमेठी के विकास न होने का ठीकरा भी डेढ़ वर्ष पुरानी प्रदेश भाजपा सरकार पर फोड़ दिया। निष्कर्ष यह कि दस वर्ष में राफेल आ गए थे, बड़े कम दाम पर खरीदारी हुई थी, अमेठी का बहुत विकास हो गया था। भाजपा सरकार ने सब गड़बड़ कर दिया। राफेल डील में घोटाला कर दिया, अमेठी को पिछड़ा बना दिया, पूंजीपतियों को पैसा देकर भगा दिया।

यदि कांग्रेस अध्यक्ष की बातों की पड़ताल की जाए तो वाकई इसमें मजा ही दिखाई देगा। दस वर्ष में यूपीए सरकार राफेल डील नहीं कर सकी, ऐसे में उसके द्वारा बताए जा रहे दाम का कोई मतलब नहीं। मनमोहन सिंह सरकार लाखों करोड़ रुपये पूंजीपतियों को बाटती रही, कांग्रेस अध्यक्ष की नजर में यह ईमानदारी और चौकीदारी थी। राहुल ने अमेठी कहा कि नरेंद्र मोदी के कार्यों में राफेल, ललित मोदी, नोटबंदी, विजय माल्या और गब्बर सिंह टैक्स शामिल हैं। इन कार्यों में समानता चोरी का है। एक-एक कर हम दिखाएंगे कि ये जो नरेंद्र मोदी हैं, वह चौकीदार नहीं बल्कि चोर हैं। राहुल ने कहा है कि अभी तो शुरुआत हुई है, अभी देखना मजा आएगा। आने वाले दो-तीन महीनों में ऐसा ही मजा आपको दिखाएंगे।

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड अमेठी को उसका कांट्रैक्ट दिया गया था। जिससे अमेठी के युवाओं, इंजीनियरों को रोजगार मिलता। फ्रांस के हवाई जहाज हमारे देश में बनते। इसके उलट देश के चौकीदार फ्रांस जाते हैं और वहां के राष्ट्रपति से सौदा होता है। मोदीजी कहते हैं कि एचएएल को छोड़िए, अनिल अंबानी की कंपनी को राफेल विमान खरीदने का कांट्रैक्ट दे दो और उन्होंने पांच सौ छबीस करोड़ के बजाय सोलह सौ करोड़ में राफेल विमान खरीदा।

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि यूपीए के समय बैंक ऐसे लोगों को भी कर्ज दे रहा था जिन्हें कर्ज की जरूरत नहीं थी। ऐसी कम्पनियों को कर्ज दिया गया जो वापस करने की स्थिति में नहीं थी। जबकि मोदी सरकार ने भगोड़ा का कानून बनाया और इनकी देश में सारी सम्पत्ति जब्त की जा रही है। रघुराम राजन ने तो यहां तक कहा कि मनमोहन सरकार में टूजी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ, कोल ब्लॉक आवंटन जैसे कई घोटाले हुए, लेकिन इन सब में सबसे बड़ा घोटाला एनपीए है। मोदी सरकार द्वारा एनपीए वसूली के लिए शिकंजा कसा गया जिसके बाद साढ़े नौ लाख करोड़ रुपये एनपीए में से चार लाख करोड़ रुपये सिस्टम में वापस आ चुके है। रघुराम राजन ने कहा था कि यूपीए के समय बैंकों की अधिकांश पूंजी केवल एक परिवार के करीबी धनी लोगों के लिए आरक्षित रहती थी। पैसा डूबने की आशंका थी, फिर भी यह कार्य चलता रहा।

आजादी के बाद से दो हजार आठ तक कुल अठारह लाख करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए थे लेकिन यूपीए के छह वर्षों में यह आंकड़ा बावन लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। राफेल पर कांग्रेस ने तरकस के तीर तो खूब चलाये, लेकिन कोई प्रमाण नहीं दे सकी। बल्कि झूठ पर झूठ उजागर होते गए। राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्टपति से मुलाकात की बात कही, वह फ्रांस ने झूठा बताया। पीएल पुनिया ने विजय माल्या और अरुण जेटली से मुलाकात की बात कही, यह भी तथ्यों के आधार पर असत्य साबित हुई। भाजपा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी राफेल सौदे के खिलाफ एक अंतराष्ट्रीय षडयंत्र रच रहे हैं, क्योकि वह राबर्ट वाड्रा को फायदा नहीं पहुंचा सके।

कांग्रेस की पिछली सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल समझौता इसलिए कैंसिल कर दिया था, क्योंकि इसे बनाने वाली कंपनी दसॉ ने रॉबर्ट वाड्रा को बिचौलिए के तौर पर स्वीकार नहीं किया। भाजपा के अनुसार रॉबर्ड वाड्रा अपने खास सहयोगी को राफेल डील का हिस्सा बनाना चाहता थे। संप्रग सरकार इसी कार्य में लगी थी। वाड्रा की कंपनी को बिचौलिया नहीं बनाया गया तो उसके लिए वायुसेना और देश की रक्षा के साथ षड़यंत्र किया गया। राहुल गांधी इस डील को महज इसलिए रद्द कराना चाहते हैं ताकि वाड्रा के दोस्त संजय भंडारी को फायदा पहुंचाया जा सके। रॉबर्ड वाड्रा और संजय भंडारी को दुबई में रक्षा प्रदर्शनी में एक साथ देखा गया था।

कांग्रेस अध्यक्ष ने गलत नहीं कहा, वह राजनीति में मजे की बात चलते रहेंगे। यह उनके सार्वजनिक जीवन का अंदाज भी है। राफेल ,जीएसटी आदि पर अमल तो यूपीए के समय में होना चाहिए था। लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भागती रही। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसका बीड़ा उठाया, इसे क्रियान्वित करके दिखा दिया। कांग्रेस अपनी नाकामी और शर्मिंदगी को छिपाने का प्रयास कर रही है। वह जानती है कि यह सब एक मजा है। लेकिन कई बार मजा लेने वाले खुद खुद मजाक बन जाते है। कांग्रेस भी इसी रास्ते पर चल रही है। उसके सभी मजे उल्टे पड़ रहे हैं। दूसरों पर आरोप लगाकर कांग्रेस अपने अतीत को सुधार नहीं सकती।

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