माओवादी के ट्रेनिंग सेंटर में तैयार हो रहें मानवबम, मिशन हैं यूपी -बिहार
>> वीरगंज ,बाल्मिकीनगर में प्रशिक्षण दें रहें माओवादी के शीर्ष नेता प्रमोद मिश्रा
>> उत्तरी बिहार के बेरोजगार युवक का बढ़ रहा माओवाद की ओर झुकाव ,वेतन और जीवन बीमा की नयी योजना
>> नोटबंदी के बाद, लेवी के बड़ी राशि के पुराने नोट ,नेपाल में हुये चेंज
>> खुफिया रिपोर्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियां हुई सक्रिय
रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । देश के नक्सली और माओवादी ,फीनिक्स पक्षी की तरह हैं । अपनी ही राख से पुनर्जीवित होने की अद्भुत ताकत रखते हैं । फीनिक्स पक्षी की तरह ही माओवादी कलरफूल होते हैं ।माओवादी क्रांति की समयसीमा दीर्घकालीन लोकयुद्ध की दुहाई देते है तो फीनिक्स पक्षी भी हजार साल जीवित होने का दावा करती हैं ।
माओवादी विचारधारा भी आंतरिक कलह की आग में जलता हुआ दिख रहा है तो फीनिक्स पक्षी का भी जब मौत नजदीक आता है तो उसके घोसले में आग लग जाती हैं । कुछ समय बाद उसी राख से उसके बच्चे पैदा होते हैं ।कुछ ऐसी ही अद्भुत का परिचायक है नक्सलवाद । सन 1969 में बंगाल के एक गांव नक्सलबाड़ी से व्यवस्था के खिलाफ उठा बवंडर कभी खत्म हो गया सा प्रतीत होता हैं तो अचानक खुफिया तंत्र को धोखे में डाल धधकने लगता हैं । कभी देश का नंदीग्राम, लालगढ़ तो कभी बिहार का मगध, भोजपुर, कोशी, सीमांचल, मुजफ्फरपुर होते हुये ,इन दिनों सारण और नेपाल का सीमावर्ती जिले । इसी धोखे का परिणाम हैं की इन दिनों सारण प्रमंडल के कई इलाके में माओवादियों की सक्रियता बढ़ गयी हैं । खुफिया रिपोर्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियां भी निगरानी में जुट गयी हैं ।
माओवादी तैयार कर रहें मानव बम
बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज के रहने वाले प्रमोद मिश्रा ,माओवादी संगठन का बड़ा नाम हैं । 22 मामले में गिरफ्तार होने के बाद ,लगातार 9 वर्षों तक प्रमोद मिश्रा कई राज्यों के जेल में रहें ।किसी मामले में सजा नहीं हुई और जेल से आजाद होने के बाद प्रमोद मिश्रा ,अपने घर के बगल में हेमोपैथ का दवाखाना खोल इलाज करने लगे तो सुरक्षा एजेंसियों को लगा की 65 वर्षीय यह वृद्ध अब परिवार के साथ रहेगा और मुख्यधारा से जुड़ गया । लेकिन यहीं धोखा खा गये । प्रमोद मिश्रा ,घर, परिवार ,दवाखाना छोड़कर अचानक फिर एक बार माओवाद की राह चल दिये और सुरक्षा -एजेंसियां टुकुर-टुकुर देखते रह गयी । नेपाल के सत्ता परिवर्तन में प्रमोद मिश्रा के संघर्ष को नक्सली ऐतिहासिक मानते हैं ।प्रमोद मिश्रा ,गुरिला लड़ाई की रणनीति में चाणक्य हैं ।
प्रमोद मिश्रा ,रणनीति के तहत नेपाल के बाल्मिकीनगर, वीरंगज के सिमरा , जंगलों में शरण लिये हैं । इन्हीं इलाके में माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर हैं । बिहार और यूपी के सैकड़ों युवकों को ट्रेनिंग सेंटर में माओवादी के शीर्ष नेता प्रमोद मिश्रा , व्यवस्था के खिलाफ लड़ने की गुरिला लड़ाई लड़ने का गुर सिखा रहें हैं और मानव बम बना रहें । इसमें 16 वर्ष से लेकर 24 वर्ष तक के नौजवान हैं । जो माओवादी संगठन के प्रलोभन के शिकार हो हथियार थाम रहें हैं ।सुत्र बताते हैं की सेना के कमांडो से भी अधिक तेज लड़ने की ट्रेनिंग दी जा रहीं हैं ताकि बड़ी चुनौती दे सकें । प्रमोद मिश्रा ,सारण प्रमंडल के कई इलाके में सैकड़ों हथियारबंद दस्ते के साथ देखें गये हैं ।नेपाल से सारण तक ,करीब 180 किलोमीटर तक फैले गंडक नदी और दियारा क्षेत्र को माओवादी अपने कब्जे में लेने की पहली सूची में रखा हैं और इसे टारगेट मान, वर्चस्व कायम करने के लिए जुट गये हैं ।
बेरोजगार युवाओं को नक्सली बनने पर वेतन एवं जीवन बीमा
वर्ष 2016 में हुये नोटबंदी के बाद, ऐसा माना जा रहा था की माओवादी संगठन के लेवी के रूपये जमीन पर गाड़े-गाड़े सड़ जाएंगे । लेकिन ऐसा नहीं ,माओवादियों का कोई राशि पुलिस के हाथ नहीं लगीं । सुत्र बताते हैं की भारतीय माओवादी संगठन के सैकड़ों करोड़ रूपये के पुराने 500 -1000 के नोट को नेपाल में चेंज करा लिया । यहीं नहीं कालाधन रखने वाले कारोबारियों ने माओवादी को एडवांस के तौर पर बड़ी राशि लेवी का दे दिया । माओवादियों ने वह भी रूपये चेंज करा लिये ।सुत्रों की मानें तो रूपये के अच्छे स्थिति होने पर माओवादी संगठन ने बड़ा बजट युवाओं पर खर्च करने का निर्णय लिया हैं ।इसके लिए माओवादियों ने विश्वासपात्र एजेंट बहाल किये हुये हैं । गुप्त रूप से भर्तियां निकाली जा रहीं हैं ।अब शिक्षा को यहाँ भी महत्व दिया जा रहा हैं ।योग्यता अनुसार वेतन की व्यवस्था की गयी हैं । जीवन बीमा कराया जा रहा हैं । वर्तमान में माओवादी संगठन ने यह भर्ती नेपाल के सटे बिहार और यूपी के सीमावर्ती जिले के लिए निकाली हैं । माओवादी संगठन में शामिल हो जाने के बाद एजेंट के माध्यम से रूपये ,इनके घर-परिवार के पास पहुंच जाता हैं ।भारत में अस्थिरता पैदा करने के लिए पड़ोसी देश चीन भी माओवादी संगठन को आर्थिक एवं अन्य संसाधन ,नेपाल के जमीन पर उपलब्ध करा रहा हैं ।
मिशन हैं यूपी -बिहार
देश की राजनीति में यूपी -बिहार अहमियत रखता हैं ।जिस पार्टी के पास इन दो राज्यों की बहुमत होती हैं उसी को दिल्ली का ताज नसीब होता हैं । माओवादी भी इन दोनों राज्यों में अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं । ऐसे तो देश के आंध्रप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,झारखंड ,बिहार ,उड़िसा, पश्चिम बंगाल ,आसाम में माओवादी का पैठ हैं ।
बिहार और यूपी में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए बड़े तौर पर मिशन तैयार किया हैं । शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग माओवादियों की टीम बनाई गयी हैं । जो प्रचार-प्रसार कर व्यवस्था के खिलाफ लोगों को खड़ा करेंगे । माओवादी संगठन का मानना हैं की बिहार -यूपी ही व्यवस्था परिवर्तन की राह हैं ।
नेपाल के सीमावर्ती जिले में माओवादी संगठन के बढ़ते सक्रियता को देखते हुये केन्द्रीय एजेंसियां भी निगरानी रखें हुये है और माओवादियों के गतिविधियों की जानकारी इकट्ठा करने में जुटी हैं । कमजोर पड़े माओवादियों को सुरक्षा एजेंसियां ,इतना जल्दी पनपने नहीं देगी । बिहार के नक्सली क्षेत्रों में घोषित 10 जिले को नक्सल मुक्त की घोषणा बीते वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय ने किया हैं ।
No comments:
Post a Comment