फतेहपुर। पढने लिखने की इस उम्र में छोटे-छोटे नवनिहाल बच्चे पैसे की जुगाड के लिये सुबह से ही बोरी लेकर कूडा के ढेरो में पहुच कर बाजार में बिकने वाला कबाड व पालीथिन के पैकटो को बिनते रहते है। और उसके बाद पेट का इन्तेजाम करते है।
मालूम हो की शहर के गलियो में सफाई कर्मचारियो द्वारा झाडू लगाकर कूडा को एक स्थान पर लगा दिया जाता है। जहां पर कम उम्र के पढने लिखने वाले यह नौनिहाल बच्चे सुबह होते ही उन्ही कूडा के ढेरो में पहुचकर उसमें से कबाड बिनना शुरू कर देते है। पहले तो यह बच्चे कबाड में पांलीथिन की काफी बडी थैलियो ज्यादातर मात्रा में एकत्र कर लेते थे लेकिन जब से पालीथिन के थैलियो में रोक लगा दी गयी तो उसके बाद कूडा के ढेरो में पालीथिन की थैलिया कम दिखने लगी है। लेकिन अभी पूरी तरह से प्रतिबन्ध नही लगा है और आज भी पालीथिन की थैलियो का चलन बन्द नही हुआ है। जो सफाई के बाद कूडा के ढेरो पर मिलता है और उसको पढाई करने वाले नौनिहाल बच्चे बिनकर अपनी तथा अपने माता पिता का पेट भरते है। इस उम्र में पढाई न करने वाले इन नौनिहालो बच्चो के भविष्य का ध्यान न देकर इनसे कबाड बिनाकर पैसे के भविष्य का ध्यान न देकर इनसे कबाड बिनाकर पैसे की जुगाड कर रहे है। जब कबाड बिन रहे इन बच्चो से पूछा गया तो सीधा जवाब दिया कि घर मे पढाई कराने के लिये पैसा नही है। इस लिये स्कूल नही जाते और कबाड बिनकर सब्जी, तेल, नमक का इन्तेजाम रोज कर लेते है।
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Monday, 3 September 2018
नौनिहाल पढने लिखने की उम्र में बिन रहे कबाड
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