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Monday, 17 September 2018

सरकारी डॉक्टर भी हुए सरकार से असंतुष्ट दी स्वास्थ्य सेवायें ठप करने की चेतावनी

लखनऊ। राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनधारकों के बाद अब प्रदेश के सरकारी डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। उनका कहना है कि न तो डॉक्टरों को अपेक्षित सुविधाएं मिल रही हैं और न ही 1980 के दशक में तय हुए स्वास्थ्य के मानक पूरे हो पाए हैैं, जबकि सरकार ने यह वास्तविकता छिपाकर आम जनता और न्यायालय को भी अंधेरे में रखा है। डॉक्टरों ने इसके विरोध में आंदोलन का एलान कर दिया है।

प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार एक ओर सरकारी डॉक्टरों की समस्याओं और मांगों की तरफ पीठ घुमा कर बैठी है तो उधर अस्पतालों में दोहरी-तिहरी व्यवस्था के जरिये अराजकता की स्थिति उत्पन्न करके उन्हें अपमान, प्रताडऩा और गुलामी का शिकार बना दिया गया है। डॉक्टरों ने इस सबका विरोध करने का निर्णय लिया है। एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ.अशोक कुमार यादव व महामंत्री डॉ.अमित सिंह ने बताया कि मानक पूरे करने के लिए प्रदेश में 33 हजार विशेषज्ञ डॉक्टर चाहिए, जबकि मौजूदा संख्या केवल तीन हजार है।

प्रदेश के निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों से भी इतने डॉक्टर नहीं निकल रहे कि यह कमी पूरी हो सके। जो डॉक्टर तैयार हो रहे हैं, वह बिना विकल्प और बिना वीआरएस की सुविधा दिए जबरन काम कराये जाने के राज्य सरकार के रवैये से घबरा कर पीएमएस में आना ही नहीं चाहते। सरकारी डॉक्टरों के लिए अस्पतालों में संविदा पर लाये जा रहे डॉक्टर भी बड़ी समस्या बन गए हैैं। संविदा डॉक्टरों के एक तिहाई काम और तीन गुना वेतन ने सरकारी डॉक्टरों को असंतुष्ट कर दिया है, जबकि सातवें वेतनमान के मुताबिक एनपीए व अन्य भत्ते न मिलना भी उनकी नाराजगी का बड़ा कारण है।

पीएमएस एसोसिएशन के मुताबिक अस्सी के दशक में ‘हेल्थ फॉर ऑल बाई 2000 के तहत वर्ष 2000 तक स्वास्थ्य केंद्रों व सीएचसी-पीएचसी के जो मानक तय हुए थे, उन्हें पूरे किए बिना ही वर्ष 2007 में वर्ष 2012 के लिए ब्लॉक स्तर पर चौबीसों घंटे विशेषज्ञ चिकित्सा के नए मानक तैयार कर लिए गए। अब हालत यह है कि वर्ष 2000 के लिए 30 साल पहले तय किए गए मानक आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं।

सरकारी डॉक्टर 24 सितंबर को प्रदेश के प्रत्येक जिले से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजकर अविलंब हस्तक्षेप की मांग करेंगे। इसी क्रम में एक अक्टूबर को वह काला फीता बांधकर उपेक्षा व संवेदनहीनता पर विरोध दर्ज कराएंगे। एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि इस पर भी सुनवाई न हुई तो आंदोलन का अगला चरण शुरू किया जाएगा।

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