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Wednesday 3 October 2018

संयुक्त राष्ट्र में बेनकाब हुआ पाक का नापाक चेहरा

राजेश माहेश्वरी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर जम कर हमला बोला। उन्होंने अपने भाषण में ओसामा बिन लादेन से लेकर हाफिज सईद तक के पाकिस्तान के साथ संबंधों का जिक्र किया। भारत ने एक बार फिर विश्व बिरादरी के सामने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब किया है। भारत ने यहां पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंक का चेहरा करार दिया है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 36वें सम्मेलन में भारत ने पाकिस्तान को अपनी आतंक की फैक्ट्री बंद करने की चेतावनी दी है। भारत ने पाकिस्तान से ये भी कहा कि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे.संयुक्त राष्ट्र ऐसा विश्व मंच है, जहां हर छोटे-बड़े देश अपनी बात रखते हैं और किसी निष्कर्ष की अपेक्षा भी रखते हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के तीखे बयान से तिलमिलाए पाकिस्तान ने झूठ का सहारा लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा को गुमराह करने की कोशिश की। यूएन में पाकिस्तान की टॉप ऑफिसर मलीहा लोधी ने एक लड़की की तस्वीर दिखाई, जिसका चेहरा बुरी तरह बिगड़ा हुआ था। मलीहा ने आरोप लगाया कि लड़की की यह हालत कश्मीर में सुरक्षाबलों की ज्यादतियों और पैलट गन के इस्तेमाल से हुई है। लेकिन कुछ ही देर में उनका झूठ पकड़ा गया। पता चला कि लड़की की यह हालत कश्मीर में नहीं बल्कि गाजा में इस्राइली हमलों में हुई थी। दरअसल, सुषमा स्वराज ने एक दिन पहले पाकिस्तान के दोगले चेहरे को बेनकाब करते हुए कहा था कि भारत ने जहां आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थान बनाए वहीं पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों को पैदा किया। इस पर राइट टु रिप्लाई के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए रविवार को यूएन में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने उलटे भारत पर ही पाकिस्तान के कई हिस्सों में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप मढ़ दिया। इसके लिए कुलभूषण जाधव का नाम लिया। उन्होंने कहा कि भारत पर कश्मीर पर जबरन सैन्य कब्जा करने और सुरक्षाबलों पर ज्यादतियों के भी आरोप लगाए।

आतंकवाद ऐसा मुद्दा है, जिसकी परिभाषा तक तय नहीं हो पाई है। असल में कई सालों से यह मसला लटका है। कमोबेश यूएन के स्तर पर यह एक विडंबना से कम नहीं है। किसी हमलावर गतिविधि को कुछ देश ‘आतंकवाद’ करार देते हैं, तो कुछ देश उसे ‘आजादी की लड़ाई’ मानते हैं। लिहाजा जो शख्स कुछ देशों के मुताबिक ‘आतंकवादी’ है, उसे कमोबेश पाकिस्तान ‘हीरो’ मानता रहा है। ऐसे चेहरों को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ कहा जाता रहा है। उन्हें महिमामंडित भी किया जाता रहा है और डाक टिकट तक जारी किए गए हैं। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब किया। उन्होंने अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन का जिक्र किया, जो पाकिस्तान में ही छिपा था।

अमरीका ने एक आपरेशन के तहत उसे मार कर 9/11 आतंकी हमले का बदला लिया। अमरीका को आतंकवाद का एहसास ही तब हुआ, जब 9/11 में 3000 से ज्यादा लोग मार दिए गए थे। यह इतिहास का अभी तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है, लेकिन भारत के लिहाज से मुंबई का 26/11 आतंकी हमला भी उतना ही खौफनाक और जानलेवा था। उसका ‘मास्टरमाइंड’ हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है, रैलियां करता है, प्रधानमंत्री मोदी और भारत को धमकियां देता है, लेकिन हुकूमत ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। भारतीय विदेश मंत्री का जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएन के मंच से ही गीदड़भभकी के तौर पर दिया कि यदि भारत ने पाकिस्तान पर हमले की कोशिश की, तो उसके नतीजे गंभीर होंगे। उन्होंने हर बार की तरह कश्मीर का रोना इस बार भी रोया और उसे ‘इनसानियत पर दाग’ करार दिया। अमन-चैन के रास्ते का रोड़ा बताया।

हैरत तो यह है कि पाकिस्तान ने दोतरफा बातचीत रद्द करने की तोहमत भारत पर चस्पां की। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कहा था कि इमरान सरकार का बातचीत का प्रस्ताव कबूल किया गया था, लेकिन उसके पहले ही कश्मीर में पुलिसकर्मियों की हत्या की गई। उसे पाकपरस्त आतंकियों ने ही अंजाम दिया। तो फिर बातचीत कैसे की जा सकती थी? साफ है कि पाकिस्तान में निजाम बदला है, लेकिन नीयत वही पुरानी है।

स्वराज के संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण के बाद यह मुद्दा पाकिस्तान की मीडिया में चर्चा का विषय बन गया। पाकिस्तान के कुछ मीडिया संस्थानों ने इसे निराधार बताया तो वहीं कुछ ने इसे भारत का एजेंडा बताया है। जियो न्यूज ने भारत पर पाकिस्तान के साथ वार्ता रद्द करने के बाद भारत के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। जियो न्यूज के मुताबिक भारतीय मंत्री (सुषमा स्वराज) ने कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेनाओं द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

जियो न्यूज के अनुसार स्वराज ने भारतीय कब्जे वाले कश्मीर (आईओके) में चल रहे अत्याचारों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। वहीं डॉन अखबार ने लिखा, पाकिस्तान ने भारत को एलओसी पर किसी तरह की हरकत न करने कि चेतावनी दी। वहीं ‘बीजेपी शासित भारत के बुरे चेहरे’ नाम से छपे एक संपादकीय में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने भारत के वार्ता रद्द करने के कारणों की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘मोदी की गलतियां, भारतीय लोगों की निराशा और पाकिस्तान के कड़े विरोध से भारत के 2019 चुनावों में इस बुरे शासन की करारी हार होगी।’ वहीं साइमा अमन सियाल द्वारा एक्सप्रेस ट्रिब्यून में लिखे संपादकीय में भी उन्होंने कश्मीर में भारत द्वारा किए जा रहे कथित मानवाधिकारों के हनन की बात कही। साथ ही इस लेख में भारत द्वारा वार्ता रद्द किए जाने को संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहले की कलाबाजियां बताया। पाकिस्तान टुडे ने भी डॉन अखबार जैसी ही रिपोर्ट छापी है। उन्होंने भी वार्ता रद्द करने के पीछे भारत को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह देने के पाकिस्तान पर लगाए गए सुषमा स्वराज के आरोप को भी गलत बताया। पाकिस्तानी मीडिया के रूख से स्थिति को काफी हद तक समझा जा सकता है कि पाकिस्तान के दिल में भारत के लिये कितनी नफरत भरी हुई है।

वास्तवकिता यह है कि आतंकवाद ने खुद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को जर्जर कर दिया है। अमरीका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद बंद कर दी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी उसे और आर्थिक सहायता देने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान पर करीब 1800 अरब रुपए का कर्ज है। आतंकवाद ने बीते 11 सालों के दौरान पाकिस्तान का करीब 6.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान किया है। उसका विदेशी मुद्रा कोष मात्र 120 लाख डालर ही बचा है। उससे दो महीने का आयात भी संभव नहीं है। इन स्थितियों के बावजूद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने जो कहा है, वह उस देश की तिलमिलाहट और बौखलाहट है। आतंकी हमलों और टकरावों में खुद पाकिस्तान के करीब 55,000 नागरिक मारे जा चुके हैं। इन तथ्यों और आंकड़ों के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद से तौबा करने को तैयार नहीं है। बल्कि भारत पर आतंकवाद का आरोप चस्पां करता रहा है।

यूएन के मंच से आतंकवाद ही नहीं, जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ विकास, सौर ऊर्जा, गांधीवाद के सिद्धांत आदि कई विषय उठाए गए, लेकिन आतंकवाद ही छाया रहा। हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कमोबेश सुरक्षा परिषद में सुधार का आग्रह करते हुए यूएन को चेताया कि ऐसा न हो कि एक दिन यह विश्व मंच ही निष्क्रिय हो जाए! सुषमा ने आतंकवाद के मद्देनजर एक अंतरराष्ट्रीय कानून और परिभाषा तय करने का सुझाव भी दिया, ताकि तमाम आतंकी गतिविधियों और साजिशों को उनके दायरे में लाया जा सके। ऐसा किए बिना आतंकवाद पर नकेल कसना असंभव होगा। फिलहाल पाकिस्तान के साथ भारत की बातचीत संभव नहीं है, लेकिन अब वक्त आ गया है, जब उसका ‘सर्वाधिक पसंदीदा देश’ वाला विशेषण छीन लिया जाए और उसे ‘आतंकीस्तान’ घोषित किया जाए। भारत सरकार ने पिछले काफी समय से विश्व बिरादरी के सामने पाकिस्तान का जो चेहरा पेश किया है, वो काबिलेतारीफ है।

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