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Friday, 12 October 2018

‘शार्टकट’ सेरूक सकती है जीवन की प्रगति : राज्यपाल

लखनऊ। डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के 16वें दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने बीटेक, बी फार्मा, एमबीए, एमसीए, एमटेक, एम फार्मा, पीएचडी सहित अन्य पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक व उपाधि प्रदान की। इस वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा 61,619 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने मन, वचन एवं कर्म से जीवन पर्यन्त अपने को इस उपाधि के अनुरूप सिद्ध करते रहें। विद्यार्थी अपने माता-पिता एवं गुरूजनों का सदैव सम्मान करें जिन्होंने आपको आकाश में उड़ने के लिये पंखों में ताकत दी है। जीवन में सफलता पाने के लिये प्रमाणिकता, गुणवत्ता एवं कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। सूचना तकनीक ने विश्व की दूरियों को कम कर दिया है। वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा है। आगे बढ़ने में कभी असफलता मिले तो घबरायें नहीं बल्कि उसका कारण तलाशकर दोबारा प्रयास करें। विज्ञान के परिवर्तन को समझें और रोज नया ज्ञान सीखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ‘शार्टकट’ से जीवन की प्रगति रूक सकती है।
राज्यपाल ने बताया कि अब तक सम्पन्न 17 विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 8.28 लाख उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं जिसमें 4.46 लाख उपाधियाँ छात्राओं को मिली हैं यानि 54 प्रतिशत। पिछले वर्ष छात्राओं को 51 प्रतिशत उपाधियाँ प्राप्त हुई थी। वास्तव में बेटियों के लिये इस वर्ष अब तक 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी बड़ी उपलब्धि है। डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में आज के दीक्षांत समारोह में 61,619 उपाधियों में से 47,492 उपाधियाँ अर्थात् 77 प्रतिशत उपाधियाँ छात्रों को एवं 14,127 उपाधियाँ अर्थात् 23 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं को मिली हैं। इसी प्रकार कुल 67 पदकों में से 21 पदक अर्थात् 31 प्रतिशत पदक छात्रों को एवं 46 पदक अर्थात् 69 प्रतिशत पदक छात्राओं ने अर्जित किये हैं।

डॉ0 कलाम से प्रेरणा प्राप्त करें विद्यार्थी : डॉ0 माशेलकर
मुख्य अतिथि डॉ0 आरए माशेलकर ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम को अपना गुरू, मार्गदर्शक बताते हुये कहा कि विद्यार्थी डॉ0 कलाम से प्रेरणा प्राप्त करें। रामेश्वरम् के एक नाविक परिवार से संबंध रखने वाले डॉ0 कलाम ने ज्ञान के आधार पर भारत के राष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया। उनकी सादगी, मानवता एवं उदार मन अपने आप में एक आदर्श हैं। मानव के लिये कोई सीमा नहीं है। उन्होंने पर्वतारोही अरूणिमा सिंह और स्वपना बर्मन का उदाहरण देते हुये कहा कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो दिव्यांगता भी सफलता के बीच बाधा नहीं बन सकती। बच्चों को शिक्षित करने वाले माता-पिता बधाई के योग्य हैं जिन्होंने आजीवन तोहफे के रूप में अपने बच्चों को शिक्षित किया है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व में सशक्त देश बनाने की जिम्मेदारी आज की युवा पीढ़ी के कंधों पर है।
डॉ0 माशेलकर ने विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र बताते हुये कहा कि अपनी आकांक्षाओं को संभव बनायें। ऐसा करने के लिये नज़र सितारों पर हो न कि पैरों की ओर। कड़ी मेहनत का हमेशा फल मिलता है। असंभव कहकर छोड़ देना आसान है पर जो प्रयास करते हैं वही विजयी होते हैं। हमेशा समाधान का हिस्सा बने न कि समस्याओं का। कड़ी मेहनत का कोई पर्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि मानवीय सफलता, कल्पना, मानवीय धैर्य की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिये स्वयं को सीमित न करें। डॉ0 माशेलकर ने डॉ0 कलाम से जुड़े कई संस्मरण सुनाते हुये बताया कि डॉ0 कलाम ने कैसे उनको आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया और अपने साथ जोड़ा।
दीक्षांत समारोह में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमन्त राव, प्राविधिक शिक्षा सचिव भुवनेश कुमार, कुलपति प्रो0 विनय पाठक, संकायाध्यक्ष, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, महाविद्यालय के प्राचार्यगण व छात्र-छात्रायें एवं अभिभावकगण उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ0 आरए माशेलकर को मानद् उपाधि एवं डॉ0 कलाम के सहयोगी सृजन पाल सिंह को ‘एलुम्यनाई अवार्ड’ देकर सम्मानित किया।

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