नई दिल्ली। थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। यह एक जेनेटिक बीमारी है और जानकारी के अभाव में यह पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती चली जाती है। थैलेसीमिया किसी को भी हो सकता है। बच्चों में यह मां-बाप से होता है। किसी बच्चे को थैलेसीमिया होने पर 6 महीने के अंदर ही थैलेसीमिया के लक्षण दिखने लगते हैं।
थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो सामान्यतौर पर ब्लड को इफेक्ट करती है। थैलेसीमिया होने पर व्यक्ति के शरीर के हीमोग्लोबिन का स्तर प्रभावित होता है और शरीर में धीरे-धीरे खून की कमी होने लगती है।
साइंटिफिक भाषा में कहें तो सामान्य मनुष्य के शरीर में लाल रक्त कणों (RBC) की आयु तकरीबन 120 दिनों की होती है, लेकिन व्यक्ति को थैलेसीमिया होने के कारण RBC की उम्र घटकर 20 दिन हो जाती है, जिसके कारण सही तरह से ब्लड का निर्माण नहीं होता है।
थैलेसीमिया सामान्यतौर पर दो प्रकार का होता है। एक माइनर थैलेसीमिया और दूसरा मेजर थैलेसीमिया। व्यक्ति के शरीर से एक क्रोमोजोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया की स्थिति रहती है वहीं दोनों क्रोमोजोम खराब होने पर यह मेजर थैलेसीमिया का भी रूप ले सकता है।
बच्चों में थैलेसीमिया पहचानने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। बच्चे को थैलेसीमिया होने पर जन्म के 6 महीने बाद खून बनना बंद हो जाता है और बच्चे को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
थैलेसीमिया के लक्षण
भूख कम लगना
बच्चे में चिड़चिड़ापन होना
सामान्य तरीके से विकास न होना
थकान होना
कमजोरी महसूस होना
त्वचा का पीला रंग (पीलिया) हो जाना
पेट में सूजन होना
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