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Monday 1 October 2018

जिंदगी दांव पर लगा कर पढ़ने को मजबूर है सुरजनपुर के बच्चे

सुल्तानपुर—       शिक्षा किसी भी सभ्य समाज की कसौटी का प्रमुख अंग माना जाता है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात को महसुस किया है. उन्होंने प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए अपने मातहतों को उचित कदम उठाने के लिए कहा है.यह सौ फीसदी सच है उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है.इनमें सबसे बड़ा कारण है नेतृत्व का अभाव. चाहे वह विद्यालय के प्रधानाचार्य का हो या बेसिक शिक्षा अधिकारी का.सरकारी महकमे का यह इकलौता विभाग है जहां अपनी छुट्टी के लिए भी अध्यापकों को सुविधा शुल्क देना पड़ता है चाहे वह मातृत्व अवकाश का हो चिकित्सा अवकाश. बचा-खुचा काम ग्राम प्रधान पूरा कर देता है.।
 जिले के उच्च अधिकारी से लेकर निचले क्रम तक सभी ने इसे सिर्फ दुधारू गाय की तरह दुहा है. किसी ने भी इसे अपना समझने की जहमत नहीं उठाई है।
कौन बच्चे पढ़ रहे हैं इन स्कूलों में?
प्राथमिक विद्यालयों में अधिकांश वैसे ही बच्चे पढ़ने आते हैं जिनके पास घर में पढ़ने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. अध्यापकों के लाख मेहनत करने बावजूद भी ये ठीक तरीके से पढ़-लिख नहीं सकते हैं.
मिठाई की दुकान से लेकर घरों में बर्तन धोने के काम में लगे ये बच्चे अपने भविष्य को लेकर कत्तई चिंतित नहीं दिखते हैं. अशिक्षित मां-बाप उन्हें बता ही नहीं पाते कि पढ़ाई-लिखाई का जीवन में महत्व क्या है. उधर अध्यापक भी अपनी जिम्मेदारी निर्वहन से मुक्त इसे पेंशन समझ अन्य दूसरे कामों में लगे रहते हैं।
ऊपर से लेकर नीचे तक यह तंत्र इतना सक्रिय और मजबूत है कि कोई भी ‘माई का लाल’ इस गठजोड़ को तोड़ नहीं पाया. अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सिर्फ अध्यापकों पर रौब दिखाकर पैसा ऐंठने के खेल में लिप्त रहते हैं.।
जनपद के करौदीकला सुरजनपुर का हाल—-
जनपद के विकास खंड करौ दी कला के ग्राम सभा सुरजनपुर में प्राथमिक विद्यालय जिसका सन 2011 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 2013 में निर्माण कार्य पूरा हुआ।
स्कूल संचालित भी हुआ लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि 5 साल के अंदर ही संचालित स्कूल की बिल्डिंगों में दरारें पड़ गई। ग्राम वासियों ने अपने बच्चों को स्कूल की दशा को देखते हुए विद्यालय भेजना नही चाहा लेकिन गरीबी भी इंसान को हर हर मुकाम पर  ला कर खड़ा कर देती है जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो घर में खाने के लाले हो और सरकार की मिडडेमील योजना चल रही हो तो गरीब परिवार भले ही अपने पेट को न भर सके लेकिन अपने बच्चे के पेट को भरने के लिए उसकी जिंदगी दांव पर लगा रखी है। जी हां आज मैं करौंदीकला के सुरजनपुर ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय की दास्ताँ को बयां करता हूँ कि कहा जाता है कि माँ बाप के बाद बच्चे का गुरु उसका शिक्षक होता है लेकिन जब शिक्षक ही बच्चे का भक्षक बन जाय तो आप उस शिक्षक को क्या कहेंगे। सुरजनपुर ग्राम सभा में 6 लाख 40 हज़ार रुपये की लागत से प्राथमिक विद्यालय का निर्माण हुआ शिक्षा विभाग में ठेके की प्रथा न होने के कारण से यह विद्यालय शिक्षक को निर्माण कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई,लेकिन उस शिक्षक ने अपनी जिम्नेदारी को भूल कर मानक के अनुरूप विद्यालय का निर्माण करवाया। हालात यह है कि विद्यालय के बने दो कमरों में 1 से 5 तक के विद्यार्थी पढ़ रहे है। लेकिन विद्यालय की क्षत की छत में दरारें पड़ गई है बरसात के दिनों में छतों से पानी टपकता है शौचालय की व्यवस्था नही है रसोइयां घर अपने हालात पर आँशु बहा रहे है बाउंड्रीवाल अपनी दशा पर बेहाल है फिर भी महकमे का कोई जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर कार्यवाही करने को तैयार नही है।
*शिकायत हुई तो जगे गांव के लोग*
गांव के विद्यालय के दशा को देखते हुए गांव के ही व्यक्ति ने इस विद्यालय के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से। लेकर महकमे के मंत्री तक शिकायती पत्र भेज कर शिकायत दर्ज करा दी।
शिकायत दर्ज का मामला ऑनलाइन होने की वजह से योगी सरकार के मातहत अधिकारी भी हरकत में आ गए। जाँच बैठे गई विद्यालय के निर्माण में अनियमितताएं पाई गई लेकिन साल भर बीतने को है यह अनियमितताएं सरकारी मशीनरी की तरह सिर्फ कागजो पर ही चल रहा है और बच्चे अपनी जिंदगी को दांव पर लगा कर अध्ध्यन कर रहे है ।

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