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Thursday 4 October 2018

शाहाबाद में हुआ रंगारंग मुशायरा,उसको छू कर देखा तो जल जाओगे

शाहाबाद-हरदोई04अक्टूबर।शाहाबाद के मोहल्ला खलील में हाफ़िज़ नज़र खां के मकान पर मास्टर नबी उल्ला खां नदीम की याद में एक मुशायरे का आयोजन किया गया। इस मुशायरे में बिलग्राम के मशहूर शायर मौलाना नूर मोहम्मद आज़ाद ने मेहमान नवाजी के तौर पर शिरकत फरमाई।मेहमान ए खुसूसी की हैसियत से डॉक्टर वसी उल्ला अर्शी पिहानवी ने शिरकत की।इस मुशायरे को सदारत अलीगढ़मुस्लिम यूनिवर्सटी के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर इक़्तेदार खां एडवोकेट ने अंजाम दी ,जबकि निज़ामत के फरा इज़ हाफिज़ ख़ुर्शीद ने बखूबी अंजाम दिए।मुशायरे से पहले हाज़रिन से खिताब करते हुए इक़्तेदार खां ने कहा–उर्दू ज़बान की कमज़ोरी का शिक़बा किसी से नही अपनो से है ,हम ने हो अपनी ज़बान और तहज़ीब को छोड़ कर गैरो का तर्ज़े अमल इख्तियार कर रखा है , इसी वजह से हम अपनी तहज़ीब और तमद्दुन खो रहे है।अब भी वक़्त है हम अपनी रवायात को मजबूती से पकड़ ले वगरना हमारी आने वाली नस्ले गुमराह हो जाएंगी ।हम लोगो को चाहिए कि उर्दू अखबारात,उर्दू रासाएल खुद खरीद कर पढ़े और दूसरों को भी पढ़ने की तलकीन करे।मुशायरे का आगाज़ साबिर शाहजहाँपुरी ने हम्द पाक पढ़ कर किया।बिलग्राम से आये मशहूर शायर नूर मोहम्मद आज़ाद ने जिस्म और रूह का नक्शा कुछ यूं बयान किया’बिसाते रूह पर बिखरी है कायनात अभी,मैं अपने जिस्म के सहरा में नीम जा ठहरा”पिहानी से आये बेहतरीन शायर अर्शी पीहानबी ने कमज़रफो का हाल कुछ इस अंदाज में पेश किया *कल तलक था मेरी उतरन पे गुज़ारा जिनका,मुझपे करने वही एहसान ओ करम आते है।इज़हार शाहाबादी ने महबूब की खूबसूरती के बारे में मशवरा दिया *उसको महसूस कर लो, यही ही बहूत उसको छू कर जो देखा तो जल जाओगे*मज़ाहिया शायर अज़मत शाहाबादी ने महबूब के ऐब छुपाते हुए कहा *दिल किसी का मुझ पे आया, तेरे क्यों मिर्चे लगी,उसने मुझको घर बुलाया, तेरे क्यों मिर्चे लगी*मेरी महबूबा ने सब हांडी में मिर्चे झोंक दी,वोह तो खाना मैंने खाया तेरे कियो मिर्चे लगी*हाफिज खुर्शीद ने छोटो को ऊपर उठाने की बात कहते हुए कहा*करते ही रहोगे तुम ,अंधेरो की खुशामद,जबतक की चरागों को बुलंदी नही दोगे*साबिर अली ने घर और देश के हालात कुछ यूं बयान किए *चलने लगी है चार सु नफरत की आंधियां हर घर मे आज मसअला दीवार ओ दर का है*सुल्तान अख्तर ने कश्मीर के हालात पर कुछ यूं अपनी बात रखी,कोई बतलाए कि हल कैसे निकाला जाए मस अला रह गया कश्मीर का उलझन बन के*हनीफ खां ने महबूब की नज़र की तारीफ करते हुए कहा *दिल तोड़ने तो आता है हर शख्स को मगर,शीशे को तोड़ना ये करिश्मा नज़र का है*देर रात तक चले इस मुशायरे में काफी तादाद में लोगो ने शिरकत की जिनमे अहमर खां हनज़ला,कामरान खां,अनीस अहमद,आदि मौजूद रहे।आखिर में मेजबान हाफिज नज़र ने सभी शोरा और हज़रिन का शुक्रिया अदा किया।

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