नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों में मंकी पॉक्स का खतरा बढ़ गया है। यह एक दुर्लभ बीमारी है। इंग्लैंड में इससे पीड़ित 3 लोग सामने आएं है। जिसके कारण दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इसको लेकर काफी चिंतित है। मंकी पॉक्स एक इंफेक्शन है। जो कि एक से दूसरे में आसानी से पहुंच जाती है। यहां तक की इसमें पीडित व्यक्ति की छींक के संपर्क में आने से भी आपको यह बीमारी हो जाएगी।
यह बीमारी भी जानवरों से फैलती है। खासकर बंदरों से। जिसके कारण इसे इसे मंकी पॉक्स नाम दिया गया है। ये एक संक्रामक बीमारी है इसलिए संक्रमित व्यक्ति को छूने, उसकी छींक या खांसी के संपर्क में आने, उसके मल के संपर्क में आने या उसकी वस्तुओं को इस्तेमाल करने से ये बीमारी दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।
अफ्रीका के जंगली जानवरों से इंसानों में फैले मंकी पॉक्स का वायरस शुरुआत में तो स्थानीय स्तर पर ही फैलता है लेकिन इस दौरान इंसानों में पाए जाने वाले दूसरे वायरस और उनके डीएनए के संपर्क में आने के बाद इस वायरस के आनुवांशिक संरचना में ऐसे बदलाव आएंगे कि यह बहुत तेजी से फैलेगा और खांसी या छींक के जरिए भी इसका संक्रमण होने लगेगा।
मंकी पॉक्स चिकन पॉक्स की तरह होता है। जिसके बारें में जानकारी न हो पाने के कारण जानलेवा साबित हो सकती है। अगर आपके शरीर के चकत्ते घाव में बदलने लगे और उसमें अधिक दर्द हो तो समझ लें कि यह खतरनाक साबित हो सकती है आपके लिए।
मंकी पॉक्स के लक्षण
तेज बुखार आना।
शरीर में सूजन होना।
तेज सिरदर्द।
एनर्जी में कमी होना।
स्किन में लाल चकत्ते पड़ जाना।
समय के साथ लाल चकत्ते घाव का रुप ले लेना।
बीमारी को 1 से 3 सप्ताह तक रहना।
चकत्तों पर असहनीय दर्द होना।
मंकी पॉक्स बीमारी का इलाज
अभी तक इस बीमारी का कोई भी इलाज नहीं है। हालांकि इस वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद शुरुआत में ही स्मॉलपॉक्स का टीका लगाया जाता है। जो कि इस बीमारी को रोकने में काफी हद तक मदद करता है। साथ ही खतरा भी काफी कम तक हो जाता है।
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