रासायनिक-जैविक खतरे से निपटने के लिए सेना को मिली हॉवित्जर तोप, जाने खूबियां | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday 9 November 2018

रासायनिक-जैविक खतरे से निपटने के लिए सेना को मिली हॉवित्जर तोप, जाने खूबियां

नयी दिल्ली। भारतीय सेना की ताकत अब और बढ़ गई है। सेना के बेड़े में एम-777 अल्ट्रालाइट होवित्जर तोप और K-9 वज्र तोप शामिल हो गए हैं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने महाराष्ट्र के देवलाली में आज इन तोपों को आधिकारिक तौर पर सेना में शामिल किया। आधुनिक तकनीक से लैस ये हॉवित्जर तोप रासायनिक-जैविक खतरे को भांपने में सक्षम है। नाइट विजन कैपेबिलिटीज से लैस इस तोप में 155 एमएम की गन का इस्तेमाल होता है। इस तोप की मारक क्षमता 40 से 50 किलोमीटर तक है। पाकिस्तान और चीन सीमा पर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए इन तोपों की महत्ता बढ़ जाती है। करगिल युद्ध के समय भी काफी ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए ज्यादा दमदार तोपों की जरूरत महसूस की गई थी।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि K-9 वज्र को 4,366 करोड़ रूपये की लागत से शामिल किया जा रहा है। यह कार्य नवंबर 2020 तक पूरा होगा। कुल 100 तोपों में 10 तोपें प्रथम खेप के तहत इस महीने आपूर्ति की जाएगी। अगली 40 तोपें नवंबर 2019 में और फिर 50 तोपों की आपूर्ति नवंबर 2020 में की जाएगी।

K-9 वज्र की प्रथम रेजीमेंट जुलाई 2019 तक पूरी होने की उम्मीद है। यह ऐसी पहली तोप है जिसे भारतीय निजी क्षेत्र ने बनाया है। इस तोप की अधिकतम रेंज 28-38 किमी है। यह 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है और यह तीन मिनट में 15 गोले दाग सकती है।

थल सेना 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी बनाने जा रही है। प्रवक्ता ने बताया कि सेना को इन तोपों की आपूर्ति अगस्त 2019 से शुरू हो जाएगी और यह पूरी प्रक्रिया 24 महीने में पूरी होगी। प्रथम रेजीमेंट अगले साल अक्टूबर तक पूरी होगी। इस तोप की रेंज 30 किमी तक है। इसे हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए वांछित स्थान तक ले जाया जा सकता है।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad