नई दिल्ली। पीएम मोदी ने आज गुरुवार सुबह आसियान-भारत अनौपचारिक बैठक में भाग लिया। इसके बाद वह 13वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) और क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) शिखर बैठक में भी हिस्सा लेंगे। रणनीतिक भागीदारों के रूप में भारत और आसियान के बीच नजदीकी व्यापारिक और आर्थिक संबंध माने जाते हैं।
2017-18 में भारत-आसियान व्यापार 81.33 अरब डॉलर रहा। यह भारत के कुल व्यापार का 10.58 प्रतिशत है। भारत के कुल निर्यात में आसियान देशों का हिस्सा 11.28 प्रतिशत है।
इससे पहले पीएम मोदी ने बुधवार को यहां सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और थाइलैंड के प्रधानमंत्रियों के साथ अलग अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं। जिसमें व्यापार, रक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने के बारे में विचार विमर्श किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दो दिवसीय सिंगापुर यात्रा की शुरुआत बुधवार को प्रतिष्ठित फिनटेक समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन से की। मोदी वित्तीय प्रौद्योगिकी पर विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रम को संबोधित करने वाले किसी भी देश के पहले शासनाध्यक्ष हैं। मोदी ने सबसे पहले सिंगापुर में अपने समकक्ष ली सेन लूंग से मुलाकात की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि मोदी ने पूर्वी एशिया सम्मेलन से इतर सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लूंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने वित्तीय प्रौद्योगिकी, बढ़ी कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण में सहयोग पर चर्चा की।
मोदी ने उसके बाद आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन और थाइलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत चान ओ चा के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। ये बैठकें आसियान और पूर्वी एशिया सम्मेलन से अलग हुई। आसियान के सदस्यों में इंडोनेशिया, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपीन, वियतनाम, म्यामां, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस शामिल हैं।
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