नई दिल्ली। पहली बिना इंजन वाली ट्रेन 18 का ट्रायल 17 नवंबर से शुरू होगा। भारतीय रेलवे की तरफ से ट्रेन 18 का ट्रायल बरेली-मुरादाबाद सेक्शन के स्टैंडर्ड रेलवे ट्रैक पर किया जाएगा। ट्रायल रन के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (RDSO) टीम मुरादाबाद मे मौजूद है। इससे पहले मंगलवार शाम को ट्रेन 18 इंटीग्रल कोच फैक्टरी चेन्नई से नई दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन पर पहुंच गई। बुधवार को जब ट्रेन से कवर हटाए गए, तो वहां मौजूद लोगों ने इसे कैमरों में कैद कर लिया।
ट्रायल में होगी रेत भरी बोरियां
टी-18 देश की अत्याधुनिक ट्रेन में शुमार है और इसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि टी-18 में यात्रियों की जगह पर रेत भरी बोरियां रखकर ट्रायल होगा। बरेली मुरादाबाद रूट पर यह जांचा जाएगा कि Train 18 तेज गति पर किस तरह प्रतिक्रिया करती है। वहीं 160 की गति पर इस गाड़ी में ब्रेक लगाने पर यह गाड़ी कितनी दूरी पर रुकती है। इन सभी तकनीकी पहलुओं की जांच के बाद ही इस गाड़ी को कमिश्नर रेलवे सेफ्टी से अनुमति के लिए भेजा जाएगा।
यात्री 360 डिग्री पर कुर्सियां मोड़ सकेंगे
ट्रेन की एग्जिक्यूटिव श्रेणी की बोगी में यात्री 360 डिग्री के कोण में अपनी कुर्सियां मोड़ सकेंगे। 16 कोच वाली ट्रेन 18 में दो एग्जीक्यूटिव श्रेणी की बोगियां हैं। टी-18 का दूसरा परीक्षण कोटा से सवाई माधोपुर के बीच होगा। ट्रेन की खास बात यह है कि इसमें आपको दूसरी ट्रेनों की तरह इंजन दिखाई नहीं देगा। जिस पहले कोच में ड्राइविंग सिस्टम लगाया गया है, उसमें 44 सीटें दी गई हैं। वहीं ट्रेन के बीच में लगे दो एग्जीक्यूटिव कोच में 52 सीटें होंगी। अन्य कोच में 78 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
दिव्यांगों के लिए विशेष बाथरूम
ट्रेन के कोच में दिव्यांगों के लिए विशेष रूप से दो बाथरूम और बेबी केयर के लिए विशेष स्थान दिया गया है। हर कोच में सुरक्षा के लिहाज से छह सीसीटीवी कैमरा हैं। ड्राइवर के कोच में एक सीसीटीवी इंस्टॉल किया गया है, जहां से यात्रियों पर नजर रखी जा सकती है। ट्रेन में टॉक बैक की भी सुविधा दी गई है, यानी आपात स्थिति में यात्री ड्राइवर से बात भी कर सकते हैं। इसी तरह की सुविधा मेट्रो में भी दी जाती है।
दो इमरजेंसी स्विच लगाए गए
ट्रेन-18 में दो इमरजेंसी स्विच लगाए गए हैं। आपात स्थिति में इसे दबाकर मदद ली जा सकती है। ट्रेन में यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हर छोटी-बड़ी सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। ट्रेन आगे व पीछे किसी भी दिशा में चल सकती है। सामान्य गाड़ियां एक ही दिशा में चलती हैं। इन गाड़ियों को दूसरी तरफ इंजन लगा कर मोड़ना पड़ता है जिसमें समय और पैसे दोनों खर्च होते हैं।
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