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Sunday, 2 December 2018

देशविरोधी नारे की हकीकत: उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो मीडिया में आया

लखनऊ। लखनऊ के राजाजीपुरम में कथित देशविरोधी नारे लगाए जाने की घटना की सच्चाई जानने के लिए रिहाई मंच नेता रॉबिन वर्मा और शकील कुरैशी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की. यह परिवार पिछले 30-35 सालों से मोहल्ले में रह रहा है. सामाजिक तानेबाने में वे इस कदर बंध गए हैं कि इससे पहले कभी असुरक्षा की भावना महसूस नहीं की. घटना के बाद से परिवार दहशत में है. घर में सिर्फ औरतें ही रह गयी हैं जिन्हें घर से निकलने में खतरा दिखता हैं।

अली शाहजेब की मां ने बताया कि राज्य सूचना आयुक्त हाफिज़ उस्मान 24 नवम्बर को चाय पर आमंत्रित किए गए थे. इसकी जानकारी शासन–प्रशासन और तालकटोरा थाने को भी दी गयी थी. राज्य सूचना आयुक्त देर शाम 8 बजे आए और कोई 20 मिनट बाद चले गए. कार्यक्रम खत्म होने पर संबन्धित थाने की पुलिस भी चली गई. कुछ देर बाद पड़ोसी यूएन पाण्डेय दोबारा आए जो कार्यक्रम में भी मौजूद थे और राज्य सूचना आयुक्त के साथ सेल्फी भी ले रहे थे. दोबारा आने पर उनके साथ भीड़ भी थी जिसे अनूप शुक्ला लेकर आये थे. भीड़ ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम में देश विरोधी और असामाजिक धर्मविरोधी नारे लगाए गए हैं. शाहजेब की बहन ने बताया कि थोड़ी ही देर में सैकड़ों की भीड़ जमा हो गई और बेकाबू होती गई. घर और गाड़ी फूंक देने और सबक सिखाने की धमकी देने लगी. घर के बाहर लगी होर्डिंग में आग लगा भी दी गई. तब तक पुलिस आ गई.

रिहाई मंच नेताओं ने मोहल्ले के लोगों से भी मुलाकात की. कार्यक्रम के वक़्त मौजूद रहे अमित और रुद्र ने बताया कि अली शाहजेब उनका बचपन का दोस्त है. मोहल्ले के सुख-दुख में सभी साथ रहते हैं. उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो मीडिया में आया.

पता चला कि यूएन पाण्डेय बीजेपी नेता हैं. प्रॉपर्टी का काम करते हैं और अली शाहजेब के मकान की रजिस्ट्री में गवाह भी रहे हैं. सन्देह है कि यह मामला प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है क्योंकि शाहजेब के पिता भी प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े हैं. 25 नवम्बर को अयोध्या में हुई धर्म सभा के ठीक पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए यूएन पाण्डेय ने देश विरोधी नारे लगाए जाने की कहानी का षडयंत्र रचा. अली शाहजेब और शादात उस्मान समेत 40-45 अज्ञात पर एफ़आईआर दर्ज कराने वाले अभय प्रताप सिंह के बारे में परिवार को कोई जानकारी नहीं है. घर देखने से साफ हो जाता है कि वहां 8-10 लोगों से ज़्यादा के बैठने की जगह नहीं है. घर के नीचे के हिस्से में हाफिज़ उस्मान के साथ आए सरकारी गनर, अनुसेवक, ड्राईवर और थाने की पुलिस मौजूद थी. सवाल उठता है कि अगर नारे लगे तो वहां मौजूद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की.

रिहाई मंच नेताओं रॉबिन वर्मा और शकील कुरैशी ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि देश विरोधी नारे लगाने की घटना पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा है. घटना के बाद डर की वजह से घर में सिर्फ महिलाएं ही रह रहीं हैं. प्रशासन उनकी सुरक्षा की गारंटी करे.

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