गाजियाबाद।अंग्रेजी देसी शराब दुकानों के इर्द गिर्द खुले होटलों पर दोपहर से देर रात तक शराबियों के द्वारा खुले आम राह चलते बच्चे महिलाओं के साथ कब कौन सी अनहोनी हो जाये पता ही नहीं चलता जबकि प्रदेश की योगी सरकार सुशासन की बात कर रही है।जो शायद बेईमानी लग रही गाजियाबाद में बढ़ते अपराधों को रोकने में गाजियाबाद पुलिस नाकाम साबित होती दिख रही है।तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक ने अभी कुछ दिन पूर्व ही जनपद के लगभग सभी थानों के जिम्मेदारों को ताश की गड्डी की तरह फेंट चुके हैं /बीती रात लोनी बार्डर थाना अंतर्गत किन्ही होटलों की मेजों पर खुले आम शराब की बोतले सजाएं बैठेा असामाजिक तत्वों को शायद गाजियाबाद पुलिस का कोई डर नहीं इन हालतों में आम शहरी के दर्द का शायद योगी सरकार की संस्कारी पुलिस को अहसास भी नहीं सूत्र बतातें हैं।हो भी क्यों पुलिस को महकमें की काली कमाई में इन गोरखधंधें वालो द्वारा हर माह मोटी कमाई जो हो रही है।यह घंटनाये शहर के पाश इलाकों में तो खुले आम देखि जा सकती है।वहीं अंग्रेजी शराब दुकान संचालक बाल श्रम कराने से भी बाज नहीं आ रहे।आपको बताते चलें शराब की दुकानों पर आने वालो के शराब दुकानदार वाकायदा फुटपाथ पर रहने वाले व ग़रीब बस्तियों के गरीब बच्चों को भी इस धंधे में धकेलने से भी बाज नहीं आ रहे इन मासूमों को पहले से दूकान के बाहर खड़ा कर दिया जाता है।जैसे ही रहीस जादों की गाड़ियां रूकती है। वैसे ही यह मासूम बच्चे सरपट इन गाड़ियों के आगे पीछे दौड़ने लगते है और पैसे लेकर शराब की दुकानों से लेकर रहीसजादों को सौंपकर दस पांच रुपए लेकर शराब खरीदते खुद कब शराबी बन जायेंगे यह कहा नहीं जा सकता जब की पुलिस से लेकर श्रम विभाग तक इस गोरख धंधे को देखकर मुँह घुमाकर चले जाते हैं वही सरकार जहां एक और बाल श्रम रोकने को दर्जनो योजनाए तो वहीं उनके जिम्मेदार उनके ही सुशासन को आग लगाने से बाज नहीं आ रहा।
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Saturday, 29 December 2018
शहर में जगह जगह खुले मयखानो से आम जनमानस का जीना मुहाल
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