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Tuesday, 29 January 2019

Basant Panchami Hindi Poems For Kids | बसंत पंचमी पर बच्चों के लिए कविता

Basant Panchami Hindi Poems For Kids | बसंत पंचमी पर बच्चों के लिए कविता

Basant Panchami Hindi Poems For Kids

Basant Panchami Hindi Poems For Kids

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देखो -देखो बसंत ऋतु है आयी
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई
घर-घर में हैं हरियाली छाई
हरियाली बसंत ऋतु में आती है
गर्मी में हरियाली चली जाती है
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है
यही चक्र चलता रहता है
नहीं किसी को नुकसान होता है
देखो बसंत ऋतु है आयी

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Basant Panchami Hindi Poems For Kids

धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमंग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ
देखो नभ मे उडते पतंग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मस्तानी
आ गई है ऋतुओ की रानी

सुमित्रानंदन पंत

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Basant Panchami Hindi Poems For Kids

सीधी है भाषा
वसंत की

कभी आंख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी
दिगंत की

नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली
अनंत की

त्रिलोचन

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Basant Panchami Hindi Poems For Kids

स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं

छोड़ कोमल फूल का घर
ढूंढती हूं कुंज निर्झर.
पूछती हूं नभ धरा से
क्या नहीं ऋतुराज आया?

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
मै अग-जग का प्यारा वसंत

मेरी पगध्वनि सुन जग जागा
कण-कण ने छवि मधुरस माँगा

नव जीवन का संगीत बहा
पुलकों से भर आया दिगंत

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत

महादेवी वर्मा

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Basant Panchami Hindi Poems For Kids

आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
खेल रही गौरैया सरसों की बाल से
मधुमाती गन्ध उठी अमवा की डाल से
अमृतरस घोल रही झुरमुट से बोल रही
बोल रही कोयलिया

आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है
आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है
फिर से जमुना तट पर कुंज में पनघट पर
खेल रहा छलिया

आ गया बसंत है छा गया बसंत है
मस्ती का रंग भरा मौज भरा मौसम है
फूलों की दुनिया है गीतों का आलम है
आंखों में प्यार भरे स्नेहिल उदगार लिए
राधा की मचल रही पायलिया

आ गया बसन्त है छा गया बसंन्त है

कंचन पाण्डेय

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