Basant Panchami Poems In Hindi | Vasant Panchami Par Kavit | बसंत पंचमी पर कवितायेँ
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Basant Panchami Poems In Hindi
देखो -देखो बसंत ऋतु है आयी
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई
घर-घर में हैं हरियाली छाई
हरियाली बसंत ऋतु में आती है
गर्मी में हरियाली चली जाती है
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है
यही चक्र चलता रहता है
नहीं किसी को नुकसान होता है
देखो बसंत ऋतु है आयी
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Basant Panchami Poems In Hindi
धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमंग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ
देखो नभ मे उडते पतंग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मस्तानी
आ गई है ऋतुओ की रानी
सुमित्रानंदन पंत
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Basant Panchami Poems In Hindi
सीधी है भाषा
वसंत की
कभी आंख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी
दिगंत की
नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली
अनंत की
त्रिलोचन
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स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं
छोड़ कोमल फूल का घर
ढूंढती हूं कुंज निर्झर.
पूछती हूं नभ धरा से
क्या नहीं ऋतुराज आया?
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
मै अग-जग का प्यारा वसंत
मेरी पगध्वनि सुन जग जागा
कण-कण ने छवि मधुरस माँगा
नव जीवन का संगीत बहा
पुलकों से भर आया दिगंत
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
महादेवी वर्मा
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Basant Panchami Poems In Hindi
उड़-उड़कर अम्बर से
जब धरती पर आता है
देख के कंचन बाग को
अब भ्रमरा मुस्काता है
फूलों की सुगंधित।
कलियों पर जा के
प्रेम का गीत सुनाता है
अपने दिल की बात कहने में
बिलकुल नहीं लजाता है
कभी-कभी कलियों में छुपकर
संग में सो रात बिताता है
गेंदा गमके महक बिखेरे
उपवन को आभास दिलाए
बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम्
प्यारी कोयल गीत जो गाए
ऐसी बेला में उत्सव होता जब
वाग देवी भी तान लगाए
आयो बसंत बदल गई ऋतुएं
हंस यौवन श्रृंगार सजाए
शम्भू नाथ
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Basant Panchami Poems In Hindi
अलौकिक आनंद अनोखी छटा
अब बसंत ऋतु आई है
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती
पुरवा पंख डोलाई है
महक उड़ी है चहके चिड़िया
भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं
सोलह सिंगार से क्यारी सजी है
रस पीने को आ रहे हैं
लगता है इस चमन बाग में
फिर से चांदी उग आई है
अलौकिक आनंद अनोखी छटा
अब बसंत ऋतु आई है
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती
पुरवा पंख डोलाई है
शम्भू नाथ
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Basant Panchami Poems In Hindi
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
दूर खेत मुसकरा रहे हरे-हरे
डोलती बयार नव-सुगंध को धरे
गा रहे विहग नवीन भावना भरे
प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का
हृदय समा गया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
खिल गया अनेक फूल-पात से चमन
झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन
यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन
आ गया समय बहार का, विहार का
नया नया नया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
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Basant Panchami Poems In Hindi
ले के ख़ुदा का नूर वो आना वसंत का
गुलशन के हर कोने पे वो छाना वसंत का
दो माह के इस वक्त में रंग जाए है कुदरत
सबसे अधिक मौसम है सुहाना वसंत का।
मेला बसंत-पंचमी का गाँव-गाँव में
और गोरियों का सजना-सजाना वसंत का
वो रंग का हुड़दंग वो जलते हुए अलाव
आता है याद फाग सुनाना वसंत का
होली का जब त्यौहार आये मस्तियों भरा
मिल जाए आशिकों को बहाना वसंत का
कोई हसीन शय ख़लिश रहे न हमेशा
अफ़सोस, आ के फिर चले जाना वसंत का।
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Basant Panchami Poems In Hindi
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
खेल रही गौरैया सरसों की बाल से
मधुमाती गन्ध उठी अमवा की डाल से
अमृतरस घोल रही झुरमुट से बोल रही
बोल रही कोयलिया
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है
आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है
फिर से जमुना तट पर कुंज में पनघट पर
खेल रहा छलिया
आ गया बसंत है छा गया बसंत है
मस्ती का रंग भरा मौज भरा मौसम है
फूलों की दुनिया है गीतों का आलम है
आंखों में प्यार भरे स्नेहिल उदगार लिए
राधा की मचल रही पायलिया
आ गया बसन्त है छा गया बसंन्त है
कंचन पाण्डेय
बसंत पंचमी शायरी | Basant Panchami Shayari
Basant Panchami Poems In Hindi
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