Shattila Ekadashi Ko Kya Kare Kya Nahi Kare | माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते है।षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। माघ मास की एकादशी होने से ये तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस एकादशी पर भगवान को तिल का नैवेद्य लगाना चाहिए। स्वयं तिल से बनी चीजें खानी चाहिए और तिल का दान करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। षटतिला एकादशी का इस तरह व्रत करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस एकादशी पर व्रत और पूजा करने से एवं तिल का दान देने से सालभर की सभी एकादशियों का व्रत करने जितना पुण्य मिलता है।
Shattila Ekadashi Vrat Katha | षटतिला एकादशी व्रत कथा | व्रत विधि | महत्व
षटतिला एकादशी पर करें ये काम | Shattila Ekadashi Ko Kya Kare
- षटतिला एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठें और तिल का उबटन लगाएं।
- पानी में तिल डालकर नहाएं और पीले रंग के कपड़े पहनें।
- पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पांच मुट्ठी तिलों से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की आहुति दें।
- किसी ब्राह्मण की मदद पितरों के लिए तिल से तर्पण करें।
- पूरे दिन व्रत में अन्न नहीं खाएं। शाम को तिल का भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में सेवन करें।
- किसी जरूरतमंद को तिल से बनी रेवड़ी गजक और मिठाई का दान दें।
- शाम को भगवान विष्णु के भजन जरूर सुनें।
एकादशी के दिन चावल और चावल से बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए?
षटतिला एकादशी पर क्या न करें | Shattila Ekadashi Ko Kya Nahi Kare
- प्याज लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी प्रयोग ना करें।
- काम क्रोध लोभ मोह अहंकार से दूर रहें।
- एकादशी पर गंदे कपड़े न पहनें।
- परिवार में लड़ाई-झगड़ा या क्लेश न होने दें।
- षटतिला व्रत में झूठ नहीं बोलना चाहिए बड़ों का अनादर नहीं करना चाहिए।
- किसी का झूठा भोजन न करें और न ही किसी को अपना झूठा खिलाएं।
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