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Tuesday, 29 January 2019

स्वाइन फ्लू के बारे जानना है जरुरी, क्या कारण और निवारण

इन दिनों स्वाइन फ्लू की दहशत है। प्रदेश में पिछले 27 दिनों में स्वाइन फ्लू से नौ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग अस्पताल पहुंचे हैं। प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीज बढ़ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार ऊना की एक महिला को पीजीआइ चंडीगढ़ में भर्ती करवाया गया था। वहां उसे स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई थी। प्रदेश में इस साल स्वाइन फ्लू का यह पहला मामला था। दो साल से कम उम्र के शिशुओं को स्वाइन फ्लू का अधिक खतरा होता है। इसके अलावा 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और शुगर या किसी अन्य बीमारी से लंबे समय से ग्रस्त मरीजों को स्वाइन फ्लू का खतरा अधिक होता है। इन लोगों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह वायरस मरीज के आसपास रहने वाले लोगों को भी शिकार बना लेता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींकें आना।
कफ, लगातार खांसी व ठंड लगना।
मांसपेशियों में दर्द या अकड़न।
सिर में तेज दर्द।
नींद न आना, ज्यादा थकान।
दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना।
गले में खराश का लगातार बढ़ना।

स्वाइन फ्लू का वायरस
आमतौर पर स्वाइन फ्लू एच1एन1 वायरस के कारण फैलता है लेकिन सूअर में इस बीमारी के कुछ और वायरस (एच1एन2, एच3एन1, एच3 एन2) भी होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि सूअर में एक साथ इनमें से कई वायरस सक्रिय होते हैं जिससे उनके जीन में गुणात्मक परिवर्तन हो जाते हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है। आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है।

ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है। यह वाइरस पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने, ‌हाथ मिलाने और गले मिलने से फैलते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू का वाइरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटों तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक और हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है। जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।

कैसे करें बचाव
भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में न जाएं।
दवा खाने के बाद भी बुखार न जाए तो तुरंत अस्पताल जाएं।
मरीज से कम से कम तीन फीट की दूरी बनाएं।
स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज जिस चीज को इस्तेमाल करे, उसे न छुएं।
घर स्वच्छ रखें
खान-पान और रहन-सहन का खासतौर पर ध्यान रखें, गरिष्‍ठ भोजन से परहेज करें।
साफ-सुथरे रूमाल का उपयोग करें, टिश्यू को इस्तेमाल करने के बाद तुरंत कूड़ेदान में फेंकें।
अपने हाथों को लगतार साबुन या सेनीटाइजर से हमेशा साफ रखें।
घर के दरवाजों के हेंडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।
बुखार हो तो लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाइड्रेशन ना हो।
कोशिश करें की स्वाइन फ्लू प्रभावित जगह में जाने से पहले फेसमास्क पहन लें।
भरपूर नींद लें और डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहें।
चेहरे पर बार-बार बिना वजह हाथ न लगाए।
धूप में बैठे।
यदि आपके क्षेत्र में स्वाइन फ्लू महामारी फैली हुई है तो इससे निपटने की तैयारी पहले से ही कर लें। संभव हो तो आसपास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें। अगर आप ऊपर बताए गए उपायों को अमल में लाएंगे, तो स्वाइन फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी का जोखिम आपके लिए काफी कम हो सकता है। वैसे भी, इलाज से बेहतर बचाव ही माना जाता है।

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