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Wednesday, 23 January 2019

प्रियंका के आने से यूपी में किसको होगा नुकसान ?

अशोक सिंह विद्रोही /कर्मवीर त्रिपाठी

सियासी तौर से बंजार उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा तथा डायनेमिक चेहरों के भरोसे कांग्रेस अपने हाथ को मजबूत करेगी। प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव बनाकर यूपी की सियासत में दशकों से सन्नाटे में रही कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। आम चुनाव से ठीक पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रभारी के तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा तथा पश्चिम यूपी में मध्य प्रदेश आम चुनाव के दौरान करिश्मा दिखा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से महासचिव बनाकर कांग्रेस ने यूपी की सियासत में खलबली मचा दी है।

पार्टी का मानना है कि इस युवा गठजोड़ से सपा – बसपा गठबंधन की लहर और मोदी के सुनामी पर प्रियंका गांधी के आंधी का असर पार्टी में नयी जान फूंकने वाला साबित होगा ।लगभग तीन दशक से प्रदेश की सत्ता से कोसों दूर रही कांग्रेस को सपा – बसपा गठबंधन से दरकिनार किए जाने के बाद राजनैतिक गलियारों में कयासो का सिलसिला चला।

प्रभारी के तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा तथा पश्चिम उत्तर प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रभारी महासचिव बनाकर कांग्रेस ने यूपी की सियासत में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने की आधिकारिक घोषणा कर दी । राहुल गांधी ने प्रियंका को पार्टी महासचिव बनाते हुए कहा कि यूपी में प्रियंका गांधी को मिशन पर भेजा गया है।वे फरवरी के पहले हफ्ते से अपनी जिम्मेदारियां संभालेंगी। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से महासचिव बनाकर पश्चिमी यूपी के प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया है।

गौरतलब है कि सिंधिया ने मध्य प्रदेश के हालिया आम चुनाव में कांग्रेस को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उन्हें केंद्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देगी। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस के इस सरप्राज कार्ड से 2019 के आम चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं। एनडी तिवारी के दौर के बाद से ही प्रदेश की सक्रिय राजनीति में अलग-थलग पड़ी कांग्रेस दशकों से प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने की कोशिशें जारी थी। कभी रायबरेली तो कभी अमेठी से चुनाव लड़ने की आवाज कांग्रेसी कार्यकर्ता उठाते रहे हैं।

हालांकि प्रियंका गांधी चुनावी दौर में मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में प्रचार-प्रसार को लेकर सक्रिय रहती हैं, लेकिन वह अन्य सीटों के लिए इतनी सक्रियता के साथ प्रचार-प्रसार से अभी तक दूर ही रहती थी। ऐसे में बाकायदा आधिकारिक रूप से महासचिव बनाकर कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा के जादूई करिश्मे का सहारा लेगी और मोदी सुनामी को रोकने का प्रयास करेगी। सियासी तौर पर माहिर हो चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्रेनिंग पीरियड की परीक्षा का परिणाम कांग्रेस को मध्य प्रदेश की सत्ता दिला कर दे दिया है। मध्य प्रदेश तथा राजस्थान की सीमा से सटे पश्चिमी यूपी में कांग्रेसी बयार को बहाने की जिम्मेदारी सिंधिया को मिली है। जाट, गुर्जर तथा मुस्लिम बाहुल्य पश्चिम उत्तर प्रदेश में सिंधिया को पार्टी ने तत्काल प्रभाव से नियुक्त कर सपा बसपा गठबंधन तथा बीजेपी के माथे पर सियासी शिकन ला दिया है।
हालांकि राहुल गांधी ने सधे हुए लहजे में सपा मुखिया अखिलेश यादव तथा बसपा प्रमुख मायावती से अपने बेहतर रिश्तो की दुहाई देते हुए बीजेपी को हराने की बात दोहरायी है। इसकी एक वजह भविष्य की सियासी जरूरत का होना है। वहीं बीजेपी रणनीतिकारों को अब यूपी को लेकर नए समीकरणों का सहारा लेना पड़ेगा। अबकी बार फिर मोदी सरकार के नारे के साथ भाजपा ने प्रदेश में 74 प्लस के लक्ष्य के साथ बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुखों का जाल बिछाया। पार्टी प्रमुख अमित शाह ने यूपी की सियासी नब्ज को टटोलते हुए खास रणनीति के तहत जेपी नड्डा को तीन सहप्रभारियों के साथ प्रदेश प्रभारी बनाया। सपा बसपा गठबंधन के बाद भाजपा के लिए मुश्किलें बढी। इसी वजह से पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव भी किए।

प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने से हालिया आम चुनावों में कांटे की टक्कर होना तय है। जानकारों की मानें तो मोदी के सियासी कद को प्रियंका गांधी कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिसकी एक वजह उनमें दादी इंदिरा गांधी की छवि का होना है। पार्टी का आम कार्यकर्ता उनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसे तेवर देखता है। इंदिरा जैसी चाल ढाल वाली प्रियंका लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के अच्छे दिन लाने में लगेंगी।

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