लखनऊ। निराला अधैर्य, अदम्य उत्साह के कवि थे। निराला हमेशा जीवनोन्मुखी रहे।।उन्होंने हमेशा अपने व्यक्तित्व और कृतित्व का परिष्कार, परिमार्जन किया। उन्होंने स्वयं गरलपान कर हिंदी साहित्य को पीयूष वितरित किया।। उक्त बातें निराला जयंती पर अंक विचार मंच द्वारा आई टी चौराहे पर आयोजित निराला प्रतिमा की सफ़ाई और माल्यार्पण कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कही।उक्त अवसर पर प्रो परशुराम पाल ने निराला जी की आधुनिक युग में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला तथा निराला जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक संस्मरण सुनाये।
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के डॉ पवन दीछित ने राम की शक्तिपूजा के स्रोत रूप में पाठ के महत्त्व को बताया। जे एन एम कालेज बाराबंकी के डॉ अनिल विश्वकर्मा ने निराला को कालजयी साहित्यकार बताया। डॉ गोविन्द स्वरुप गुप्त ने निराला से सम्बंधित संस्मरण सुनाये। उपस्थित समस्त वक्ताओं एवं छात्रों के प्रति अंक विचार मंच एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ रविकांत ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विमर्श मंच के संयोजक हिमांशु तिवारी ,जनचेतना मंच से रामा तथा लखनऊ विश्विद्यालय के छात्र एवम् छात्राएं मौजूद रहे ।

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