साधारण सी दवायें भी बाहर के मेडिकल से लिखी जा रही हैं मरीजो को
प्रधानमन्त्री जनऔषधि केन्द्र बना शोपीस
गाजियाबाद। जहां देश की मोदी सरकार गरीबों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर ईलाज का दम भर रही है। तो वहीं उनकी ही पार्टी की सरकार उ.प्र. में सत्तानशीन है। जो कि भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश को बड़े-बड़े मन्चों, चैनलो, होर्डिंगों में डीगें मारते देखे जा सकते हैं। वहीं राजधानी दिल्ली से लगे गाजियाबाद में सरकारी अस्पताल एम.एम.जी हॉस्पिटल में डाक्टर व मेडिकल स्टोर संचालको के बीच चल रहे कमीशन के गोरखधंधे पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की नजर शायद नहीं पड़ रही दैनिक तरूणमित्र संवाददाता की पड़ताल में सरकारी अस्पताल के जो तथ्य सामने आये उससे प्रदेश के स्वास्थय महकमे को भले ही देर में लगे परन्तु राजधानी दिल्ली से लगे औधोगिक क्षेत्र गाजियाबाद में सरकारी ईलाज के नाम पर जो दोहन चल रहा है। वह शायद छिपा नहीं होगा। सकर्ता के लिए एक नहीं दर्जनों देश व प्रदेश की ऐजांसिया व शोशल मीडिया अखबारों आदी के माध्यम से लगातार आईना दिखाने का का क्रम जारी है। इन सब के बाबजूद सरकारों पर कोई असर ना होना यह बात तो दर्शाता कि पीएम मोदी लाख प्यास करें फिर भी भ्रष्टाचारी सर चढकर बोल रहे हैं कि हम तो भ्रष्ट्राचार करेगें। दिन दहाड़े डॉक्टर मरीजो का दोहन कर रहे है। सस्ते ईलाज के नाम पर गरीबों की गाढी कमाई के पैसे से अपनी जेब भरने से नहीं हिचकिचा रहे हैं। इस कमाई के काले कारनामे में मेडिकल स्टोर संचालक व एमआर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गाजयिबाद स्थानिय निवासी दीपक पर्चा संख्या 56303 फंगल इंफेक्शन से परेशान होकर डाक्टर को दिखाता है तो डॉक्टर कुछ लाल पीली टेबलेट के साथ बाहर से साधारण क्रिम लिख देता है। डॉक्टर की इस क्रिम से दिपक को फायदा हो न हो लेकिन डॉक्टर का कमीशन तो पक्का हो जाता है। वहीं दूसरी मरीज रीता पर्चा संख्या 44381 की मरीज गीता का भी कमोवेस यही हाल है उनको तो डॉक्टर द्वारा लगभग 500 रूपये की दवाईंया बाजार से लिखकर दोबारा आकर दिखाने का फऱमान भी जारी कर दिया वहीं रीता ने बताया कि कई दिनों से बीमार होने के चलते स्पताल आयी थी। उन्होने बताया कि बच्चे की फीस के पैसे रखे हुए थे जो कि अब ईलाज में चले गए वहीं जिला महिला अस्पताल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की भ्रष्ट्राचारी नीति के चलते गरीबों की जेब पर डाका डालने का धंधा अन्वर्त जारी है। यहीं पर
भर्ती पर्चा संख्य़ा 11679 गुड़ीया जिसको प्रसव के बाद साधारण सी दवाईयां भी अस्पताल से प्राप्त नहीं हुई। वहीं डॉक्टरों ने अपनी काली कमाई के धंधे के चलते बेबसी लाचारी की जिंदगी जी रही गुड्डी को भी कमीशन के चक्कर में बाहर से दवाईयां लिख डाली। जब्कि आपको बतातें चले एमएमजी अस्पताल परिसर में मोदी की महत्वपूर्ण योजना जनऔषधि सुविधा केन्द्र मौजूद है परन्तु वहां शाय़द कम पैसों में दवा उपलब्ध कराने का बोर्ड तक सिमित रहकर ही दम तोड़ रहा है। जब्कि अस्पताल के मुख्य द्वार पर कमीशन वाली दवाओं से खचाखच भरे मेडिकल स्टोर मलाई काट रहे हैं। वहीं बैखोफ डॉक्टर, एमआर व मेडिकल संचालकों का गठजोड़ अपनी काली कमाई में मशगूल है।
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