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Tuesday, 5 March 2019

खस्ताहाल अस्पतालों के दम पर 2025 तक कैसे होगा टीबी मुक्त भारत

ठाकुरगंज टीबी अस्पताल इलाज की जगह फैला रहा बीमारी

लखनऊ।  दुनिया में टीबी को खत्म करने के लिए 2030 का समय तय किया गया है, लेकिन भारत ने अपने लिए यह लक्ष्य 2025 रखा है। वहीं राजधानी स्थित ठाकुरगंज का 100 बेड वाला टीबी अस्पताल में मरीजों को इलाज की जगह बीमारी फैला रहा है। इसके चलते यहां कोई मरीज भर्ती नहीं होना चाहता है। अस्पताल में जगह-जगह गंदगी, और कूड़े के ढेर लगे हैं। बॉयोमेडिकल वेस्ट भी जहां-तहां पड़ा है। शौचालयों में दुर्गंध फैला हुआ हैं। अस्पताल में जानवर टहलते रहते हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन बार बार यही आश्वासन देता है कि सुधार करवाया जा रहा है।

वार्डों में बने शौचालय खस्ताहाल

ठाकुरगंज के टीबी अस्पताल की स्थिति बहुत ही दयनीय है। यहां कूड़े के ढेर में बॉयोवेस्ट अस्पताल में वार्डों के पीछे और कई जगह खुले में कूड़े के ढेर पड़े हैं। इन ढेर में उपयोग हो चुकी सिरिंज, खून से सनी रूई, पट्टी, मेडिकल ग्लब्स आदि बॉयो मेडिकल वेस्ट भी फेंका गया है।
यहां अस्पताल परिसर में आवारा गाय, भैंस तीमारदारों के कपड़े, बर्तन आदि को चाटते हैं। इससे बीमारी का खतरा अधिक रहता है। नियम है कि बॉयो वेस्ट खुले में नहीं फेंका जाना चाहिए। क्योंकि बॉयो वेस्ट संक्रमित होता है। इससे वातावरण दूषित होता है, साथ ही लोगों को गंभीर बीमारी होती है। अस्पताल में कई जगह नाली बजबजा रही हैं। यहां के वार्डों में बने शौचालय खस्ताहाल हैं। दरवाजे, खिड़की टूटी हुई हैं। फर्श और दीवारें काली पड़ी हैं। शौचालय में भीषण दुर्गंध फैली है। मरीज के साथ ही तीमारदार शौचालय जाने पर मुंह पर रूमाल, कपड़ा बांधे रखते हैं। यहां तक की वार्ड में बेड तक भी हवा के भभके से दुर्गंध आती है। बेड पर फटे गद्दे, धूल की परत अस्पताल के वार्डों की हालत भी बहुत ही खस्ताहाल है। वार्ड में पड़े बेड के गद्दे फटे हुए हैं। कई गद्दों के फॉम भी जगह-जगह से निकले हुए हैं। कई बेड के लोहे में जंग लगा हुआ है। गद्दों के साथ ही वार्ड में भी धूल की परत जमी रहती है। तीमारदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वार्ड और शौचालय में सफाई तक नहीं की जाती है। पीने के पानी वाले स्थान पर भी गंदगी, कायी जमा थी। गाय, कुत्ते परिसर में घूमने के साथ ही वार्ड तक में आ जाते हैं।

डॉ. आनंद बोध, सीएमएस, टीबी अस्पताल ठाकुरगंज
कैटिल कैचर की व्यवस्था करने का प्रयास चल रहा है जिससे इमरजेंसी या वार्ड में आने वाले जानवरों को रोका जा सकेगा। बॉयोवेस्ट और खुले में पड़े कूड़े के निस्तारण के लिए जगह बनाने के लिए कई बार जूनियर इंजीनियर और अन्य अफसरों से कहा जा चुका है। अस्पताल में काफी सुधार करवाया जा रहा है।

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