प्रेस वार्ता को संबोधित करते राजेन्द्र त्यागी, हिमांशु मित्तल व अन्य
गाजियाबाद। राजनगर स्थित एक होटल में पार्षद राजेन्द्र त्यागी द्वारा एक पे्रसवार्ता का आयोजन किया गया,प्रेसवार्ता में श्री त्यागी ने आईएमटी कॉलेज को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए है उन्होने कहा कि वर्ष 1968 में यह जमीन सरकार ने लाला लाजपतराय स्मारक महाविधालय सोसाइटी को रियायती दरों पर चैरिटी हेतु स्कूल के लिए आवंटित की थी, लेकिन नियम और आवंटन की शर्ताे को ताक पर रखकर इस जमीन पर इंस्टीटयूट आॅफ मैनेजमैन्ट टैक्नोलॉजी कॉलेज को अवैध तरीके से चलाया जा रहा है। राजेन्द्र त्यागी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि जीडीए द्वारा वर्ष 1968 में लाला लाजपत राय स्मारक महाविधालय सोसाइयटी को 54049Þ25 वर्ग गज भूमि रियायती दरों पर सिर्फ गरीब बच्चों के लिए स्कूल संचालन के लिए दी गई थी। लेकिन सोसाइयटी द्वारा रियायती दरों पर आवंटित स्कूल की इस भूमि पर अवैध तरीके से आईएमटी कॉलेज का निमार्ण कर छात्रों से एमबीए आदि के लिए 10 से 15 लाख रूपयें तक प्रति छात्र से लिया जा रहा है तो इसमें चैरिटी कहां रह गई। उंची रसुख और राजनिती में सक्रियता के चलते जीडीए और अन्य विभाग के अधिकारी आईएमटी पर किसी भी तरह की कार्यवाही करने व आरटीआई का जवाब देने से गुरेज करते नजर आते है। श्री त्यागी ने बताया कि जीडीए ने स्कूल निर्माण के लिए सोसायटी को 54 हजार 49 वर्ग गज जमीन आवंटित की। आरोप लगाया कि आवंटन के समय से ही सोसायटी ने सभी नियम और कानून ताक पर रख दिए। स्कूल के लिए आवंटित जमीन को रियायती दरों पर दिया गया। इसके बावजूद यहां व्यावसायिक संस्थान खोल दिया। यही नहीं मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट का जो नक्शा जीडीए में दिया गया, उसमें नक्शे से अधिक भूमि पर भवन का निर्माण किया गया। इसका खुलासा जीडीए ने आरटीआई में किया है। नक्शे से अधिक निर्माण के अतिरिक्त संस्थान का भवन नक्शे के विपरीत भी बना हुआ है। जीडीए से मिले नक्शे में यह बात स्पष्ट दिखाई देती है कि मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट नक्शे के विपरीत बना रखा है। राजेंद्र त्यागी ने बताया कि हद तो तब हो गई जब संस्थान के मानचित्र में उस जमीन को भी शामिल कर लिया गया जो जमीन उसकी है ही नहीं। सोसायटी को सिर्फ 54 हजार 49 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी लेकिन संस्था ने 10 हजार 841 वर्ग गज अतिरिक्त भूमि पर संस्थान का भवन बना लिया। जबकि यह भूमि संस्थान के नाम आवंटित ही नहीं है। उन्होंने बताया कि इस जमीन के विवाद को लेकर जीडीए और उदय सिंह के बीच मुकदमा चल रहा था। 20 सितंबर 1977 को उदय सिंह का स्टे खारिज हो गया। तब से आज तक यह जमीन जीडीए ने किसी पक्ष को आवंटित नहीं की है। जीडीए से कानून सलाह लेने पर पर यह बात साफ हो गई कि मौजूदा अतिरिक्त भूमि पर आईएमटी का कब्जा है। राजेंद्र त्यागी ने मांग रखी कि इस पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए। आखिर स्कूल के लिए आवंटित रियायती दर पर आवंटित जमीन पर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट कैसे खुल गया, जिस अतिरिक्त भूमि पर संस्थान का कब्जा है उस पर क्या कार्रवाई हो रही है। अगर संस्थान का निर्माण नक्शे से अधिक और विपरीत हुआ है तो संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। श्री त्यागी ने साफ कहा कि यदि जीडीए व प्रदेश सरकार ने इस मामले मे कोई कार्यवाही नहीं की तो वो इस मामले को लेकर सीबीआई व हाईकोर्ट में लेकर जाएगें। प्रेसवार्ता में जीडीए बोर्ड मेंबर हिमांशु मित्तल,
भूपेंद्र चित्तौड़िया, वीरेंद्र सारस्वत, केके त्यागी, आशाराम त्यागी उपस्थित थे।
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