संक्रमित आयुष्मान मरीज के ऑपरेशन करने से डॉक्टरों ने किया इंकार
लखनऊ। राजधानी के बलरामपुर अस्पताल में भर्ती एक आयुष्मान मरीज को संक्रमण के कारण आपॅरेशन करने से ही मना कर दिया है। मरीज के पैर की हड्डी टूटी थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले उसकी जांच कराई। जांच रिपोर्ट में मरीज संक्रमित निकल आया। डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से हाथ खड़े कर दिए। मामले से अधिकारियों को अवगत कराया गया। अफसरों ने उसे केजीएमयू के गैस्ट्रो विभाग में रेफर करा दिया। तीमारदार उसे लेकर केजीएमयू के चक्कर लगाते रहे मगर डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया।
बिना इलाज घर वापस लौटा चांद
काकोरी पठान गढ़ी पुरानी बाजार का रहने वाला मरीज चांद (30) हादसे में घायल हो गया था। तीमारदारों ने उसे बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में हफ्ते भर पहले भर्ती कराया था। जहां से उसे न्यू बिल्डिंग के आयुष्मान वार्ड में भर्ती किया गया। मरीज के पैर का ऑपरेशन होना था। डॉक्टर ने ऑपरेशन से पहले मरीज के खून की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में मरीज संक्रमित निकला। डॉक्टर ने मरीज का ऑपरेशन टाल दिया। अफसरों ने मरीज को पहले बीमारी का इलाज कराने की बात कहकर केजीएमयू भेजा गया। वहां गैस्ट्रो विभाग में आयुष्मान मरीज दिन भर भर्ती होने के लिए दौड़ लगाता रहा मगर बेड खाली न होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया गया। तीमारदार मरीज को किसी भी सरकारी संस्थान में उपचार न मिलने से मरीज घर वापस लौट गया।
बलरामपुर अस्पताल सीएमएस डॉ. ऋषि सक्सेना
सीएमएस डॉ. ऋषि सक्सेना का कहना है कि मरीज गंभीर बीमारी से संक्रमित था। ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए उसे बीमारी के इलाज के लिए केजीएमयू भेजा गया था। ऑपरेशन से जरूरी मरीज की बीमारी का इलाज होना है।
डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू
बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने किसी भी बीमारी से संक्रमित मरीजों के ऑपरेशन पर रोक लगा रखी है। इसकी वजह यह है कि मरीज के ऑपरेशन दौरान डॉक्टर-स्टॉफ के लिए आने वाली प्रोटेक्शन किट नहीं है। ऐसे में कोई भी डॉक्टर अपने रिस्क पर संक्रमित मरीज के ऑपरेशन करने को राजी नहीं होते हैं। सभी मरीजों को दूसरे संस्थान भेज दिया जाता है। आरोप है कि निदेशक ने संक्रमित मरीजों के ओटी में ऑपरेशन पर रोक लगाई है। आयुष्मान मरीज को प्राथमिकता के आधार पर उपचार दिया जाता है। तीन-चार विभाग पर एक-एक आयुष्मान मित्र मरीजों के लिए तैनात किया गया है।
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