लखनऊ। लोकसभा चुनाव में टिकट कटने से आहत उत्तर प्रदेश के हरदोई से सांसद अंशुल वर्मा ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में जाकर वहां तैनात चौकीदार को अपना त्यागपत्र सौंपा। इस्तीफे के साथ ही एक सौ रुपये का नोट भी उन्होंने चौकीदार को दिया। इसके चंद समय बाद अंशुल वर्मा समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए। उन्होंने आज ही सपा मुख्यालय में पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और आजम खान की मौजूदगी में सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इस मौके पर सपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में सांसद अंशुल वर्मा ने कहा कि वह सपा में अनकंडीशनल रूप से आए हैं, जहां पार्टी मेरा उपयोग समझेगी मैं उपस्थित रहूंगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने विकास के मानक को अनदेखा कर दलित समाज के आधा दर्जन सांसदों के टिकट काटे। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रवक्ता कहते हैं कि उन सांसदों के टिकट काटे, जिन्होंने कार्य नहीं किया। इस पर मेरा सवाल है कि भाजपा ने सिर्फ दलित सांसदों के ही टिकट क्यों काटे? क्या दलित सांसद ही निष्क्रिय थे?
उन्होंने अपने मर्म को जताते हुए कहा कि टिकट काटने से मैं आहत हूं। क्योंकि यदि विकास ही भाजपा का मानक था तो विकास के लिए पांच साल में मैंने अपने क्षेत्र में 24 हजार करोड़ रुपये लगाकर विकास को आखिरी पायदान से क्षेत्र को 14वें पायदान पर पहुंचाया। सदन में मेरी उपस्थिति 94 फीसदी व लोकसभा क्षेत्र में 95 फीसदी रही। तो फिर दोष कहां पर था? उन्होंने कहा कि जब मैं भाजपा से किस आधार पर टिकट काटने का सवाल किया तो ना ही किसी जिम्मेवार ने मुझसे बात की और स्पष्टीकरण दिया। अंशुल ने कहा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र में पासी समाज के कार्यक्रम में शराब बांटी गई। मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसकी शिकायत की लेकिन न उस मामले में कोई सुनवाई और ना कार्रवाई हुई।
उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार मुक्त होने का दावा कर रही है लेकिन भाजपा सरकार में स्वच्छता ने भ्रष्टाचार का रूप ले लिया है। अंशुल ने कहा कि भाजपा ने सबके साथ से अपना विकास किया है और दिल्ली से लेकर सभी जिलों में भाजपा के कार्यालय क्या मुफ्त में बने हैं?
भाजपा के चौकीदार अभियान पर अंशुल ने मीडिया के लोगों से ही सवाल करते हुए कहा कि आप में से कितने लोग अपने बच्चों को चौकीदार बनाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने मेरे चौकीदार शब्द का इस्तेमाल नहीं करने पर सवाल किए थे मैं उनसे बस यही कहुंगा कि विकास किया है विकास करेंग,े चौकीदार नहीं अंशुल ही बनकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि मैं चौकीदार नहीं लिखुंगा मैं अपने समाज का ही रहुंगा। मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सका, इसलिए भाजपा प्रदेश मुख्यालय के चौकीदार को इस्तीफा सौंपा और उसके एक दिन का वेतन का सहयोग कर के आया है। क्योंकि धनकुबेर चौकीदार को इस्तीफा देने का कोई मतलब ही नहीं था।
गौरतलब है कि भाजपा ने इस बार अंशुल वर्मा का टिकट काटकर जय प्रकाश रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है।
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Wednesday, 27 March 2019
मेरा सवाल है कि भाजपा ने सिर्फ दलित सांसदों के ही टिकट क्यों काटे? अंशुल वर्मा
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