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Wednesday, 27 March 2019

हिंदी शायरी, मुझसे झूठ की कोई उम्मीद ना करें

हँसते हो हम छोटे-मोटे शायरों के ऊपर,
ज़नाब!तुमनें तो जैसे ग़ालिब की रूह ओढ़ रखी है!!

मुझसे झूठ की कोई उम्मीद ना करें,
आईना हूँ मैं, सुबह का अख़बार नहीं!

सिक्का गरीबों में उछाला जाता है अमीरों में नहीं
प्यार अपनेपन का होता है दिखावे का नहीं

मेरी अधूरी सी कहानी का कोई दिलकश सा किस्सा हो तुम,
मेरी छोटी सी ज़िंदगी की एक उम्र का हिस्सा हो तुम!

Kaun Kehta Hai Ki,
Unko Achhe Bure Ki Samaj Nahi,
Har Burai Kese Karni Hai,
Woh Achchhi Tarha Jante Hai…

बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें, मेरा क्या है,
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है!

लिखने का जुनून है कलम चल जाती है
कभी यादों की बरसात तो कभी सच कह जाती है!

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