गोरखपुर 31 मार्च । जलभराव से निजात के दावे के साथ जलनिगम, जीडीए और नगर निगम करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से 20 से अधिक बड़े नालों का निर्माण करा रहे हैं। कमोवेश सभी नालों के निर्माण की रफ्तार को देखकर साफ दिखता है कि ये बारिश से पहले बनने वाले नहीं है। जाहिर है अधूरे नाले शहर की बड़ी आबादी को डूबने के लिए पर्याप्त है। सिर्फ बड़े नाले ही नहीं मोहल्लों के छोटे नाले भी आधे-अधूरे हैं। मानसून के दस्तक को कुछ दिन ही बचे हैं। नालों के निर्माण को लेकर सक्रियता ऐसी ही रही तो शहर का डूबना तय है। तरुणमित्र टीम ने अधूरे नालों के निर्माण कोे लेकर पड़ताल की तो चौकाने वाले बाते सामने आयी।
जलनिगम, नगर निगम और जीडीए की लापरवाही आम लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। करोड़ों खर्च के बाद भी नालों का कोई औचित्य नहीं दिख रहा है। देवरिया रोड, बेतियाहाता, तरंग क्रासिंग, तारामंडल क्षेत्र की कालोनियों और रुस्तमपुर इलाके में नाला निर्माण की सुस्ती से दो लाख से अधिक आबादी प्रभावित है। जिम्मेदारों की लापरवाही से करोड़ों खर्च के बाद भी सैकड़ों मोहल्ले जगमग्न होने को अभिशप्त दिख रहे हैं।
देवरिया रोड पर सिघाड़िया से तुर्रा नाले के बीच करीब 6 किमी लंबाई में सड़क के दोनों तरफ के मोहल्ले जलभराव से जूझ रहे हैं। 4 मार्च 2014 को सिघड़िया से तुर्रानाला तक 14.05 करोड़ की लागत से नाला निर्माण को लेकर टेंडर मंजूर हुआ। शासन द्वारा मंजूर 12.84 करोड़ खर्च होने के बाद नाला निर्माण 50 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ। इसके बाद भाजपा सरकार में फिर 2.70 करोड़ मंजूर हुए। यह रकम भी खर्च हो गई लेकिन नाला निर्माण 80 फीसदी भी पूरा नहीं हो सका। कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एण्ड डिजाइन ने एक बार फिर 20 करोड़ का रिवाइज्ड इस्टीमेट बनाकर भेजा है। पूर्व पार्षद हीरालाल यादव का कहना है कि विभाग ने बीच में छोड़-छोड़कर नाला निर्माण कर दिया है। सरकारी जमीन पर कब्जा हटाने में भी बेपरवाही है। नाला निर्माण नहीं होने से करीब 40 मोहल्लों की 80 हजार आबादी जलभराव से जूझती है।
तारामंडल क्षेत्र, गोरखनाथ क्षेत्र के दर्जनों कालोनियों को जलभराव से मुक्त करने के लिए जीडीए करीब 20 करोड़ की लागत से नाला का निर्माण कर रहा है। निर्माण कार्य की समय सीमा पूरा होने के बाद भी अधूरे निर्माण से लोग जलभराव से होने वाली दिक्कतों की संभावना से परेशान हैं। रुस्तमपुर से देवरिया बाईपास होते हुए परसहिया नाले तक करीब 8 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन नाला अधूरा है। अफसरों का दावा है कि शेष बचा 50 फीसदी निर्माण अप्रैल महीने में पूरा हो जाएगा। इसी क्रम में गोरखनाथ मंदिर के पिछले गेट से नकहा क्रासिंग तक करीब 5 करोड़ से निर्माणाधीन अतिक्रमण नहीं हटने से अधूरा है। वहीं वाटर पार्क के पास करीब 3 करोड़ से बन रहा नाला भी अधूरा पड़ा हुआ है।
जनप्रिय विहार, साकेत नगर, लाजपतनगर, जटेपुर उत्तरी, चक्साहुसैन समेत दर्जन भर मोहल्लों में जलभराव से राहत के लिए वर्ष 2011 में हड़हवा फाटक से हुमॉयूपुर चौराहा होते हुए तरंग क्रासिंग तक 80 लाख की लागत से सीसी नाले को मंजूरी मिली। करीब 550 मीटर लंबे नाले पर पूरी रकम खर्च होने के बाद विभागीय जिम्मेदारों ने पानी की निकासी को लेकर हाथ खड़ा कर दिया है। अब नगर निगम नये सिरे से दो नालों के लिए डिजाइन तैयार कर रहा है। स्थानीय पार्षद ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि 80 लाख खर्च के बाद औचित्यहीन नाला निर्माण के जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। नाला निर्माण नहीं होने से 15 हजार से अधिक आबादी जलभराव से प्रभावित ह
नगर निगम द्वारा बनाये जा रहे नालों की रफ्तार भी सुस्त है। बेतियाहाता में प्रेमचन्द्र पार्क के सामने करीब 2.20 करोड़ की लागत से सीएण्डडीएस द्वारा निर्मित नाला अधूरा पड़ा हुआ है। सर्राफा बिल्डिंग के पास नाला निर्माण आकर ठप हो गया है। गोलघर से लेकर भालोटिया मार्केट तक करीब 35 लाख से बन रहा नाला अधूरा है। वहीं शास्त्री चौराहे से लेकर अंबेडकर चौराहे तक करीब 25 लाख से बन रहा नाला निर्माण भी प्रेस क्लब के पास आकर ठप है।
करोड़ से अधिक का नाला निर्माण करा रहा है जलनिगम की सहयोगी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन
20 करोड़ से अधिक लागत का नाला निर्माण करा रहा है नगर निगम।
20 करोड़ से अधिक लागत से 6 नाला का निर्माण करा रहा है जीडीए।
30 से अधिक नाले नगर निगम क्षेत्र में औचित्यहीन, जिसका न तो टेल पता है न हेड।
10 किमी लंबाई में नाले पूरे नगर निगम क्षेत्र में निर्माणाधीन हैं।
जरा इनकी भी सुनिए
नाला निर्माण धीमी गति से होने से सड़क पर गंदा पानी बहता रहता है। नाला निर्माण बरसात से पहले नहीं हुआ तो 20 हजार से अधिक आबादी जलभराव से प्रभावित होगी।
अजय यादव, रामनगर
घर के सामने अधूरे नाले से आने-जाने में दिक्कत होती है। अधिकारियों से शिकायत करने पर बजट को टोटा बता रहा है। जब बजट नहीं था तो नाला निर्माण शुरू करने की जरूरत क्या थी।
सुनील निषाद, रानीडीहा
हल्की बारिश में ही सड़कों पर पानी लग जाता है। कई बार घर में पानी घुस जाता है। बारिश के पानी से बचने के लिए मकान का फर्श ऊचा कराने का भी कोई लाभ नहीं मिला।
विद्या, रानीडीहा
जीडीए द्वारा निर्मित नाला निर्माण कछुआ के चाल से हो रही है। अधूरे नाले के चलते सड़क तो टूट रही है, पूरे साल लोगों को जलभराव से जूझना पड़ता है। नाला सहूलियत के लिए बने, न कि दिक्कत के लिए।
अनीता देवी रामनगर
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परसहिया नाला 50 फीसदी पूरा हो गया है। बारिश से पहले इसका निर्माण पूरा हो जाएगा। ठेकेदार को काम में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। नकहा क्रासिंग की तरफ बन रहे नाले में बाधा बने अतिक्रमण को हटा दिया गया है। अब निर्माण कार्य में तेजी आएगी। वाटर पार्क के सामने बन रहे नाले को भी मई महीने तक पूरा करने का टारगेट है।
एसपी अरविन्द, सहायक अभियंता, जीडीए
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शास्त्री चौक और भालोटिया मार्केट में अतिक्रमण नहीं हटने से थोड़ी दिक्कत हुई है। शास्त्री चौक पर प्रेस क्लब के पास नाला निर्माण ठप है। जल्द इसे पूरा कर लिया जाएगा। बेतियाहाता में सीएंडडीएस द्वारा नाला निर्माण को लेकर सुस्ती है। जिसे लेकर विभाग को पत्र लिखा गया है। पूरी कोशिश है कि अधूरे सभी नालों को मई तक पूरा कर लिया जाए।
सुरेश चन्द्र, मुख्य अभियंता, नगर निगम
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