टीबी को खतम करने के लिए आईएमए जन जागरूकता कार्यक्रम होगा आयोजित
लखनऊ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए) विश्व टीबी डे,के मौके पर लोगों को टीबी के बारे में जागरूक बनाने के उद्देश्य से जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा। यह कार्यक्रम टीबी के उन्मूलन के लिए किए जाने वाले जरूरी उपायों तथा इन उपायों के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देष्य इस भयावह बीमारी के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाना तथा सन 2025 तक इस बीमारी के प्रकोप तथा इसके कारण होने वाली असामयिक मृत्यु एवं विकलांगता को खत्म करना है।इन कार्यक्रमों के लिए आईएमए ने नारा दिया है – आईएमए का नारा, टीबी से छुटकारा। इस कार्यक्रम का शुभारंभ आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. शांतनु सेन के द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ होगा। इसके बाद विश्व टीबी डे की 137 वीं वर्शगाठ के प्रतीक के तौर पर 137 गुब्बारे उड़ाए जाएंगे। विष्व टीबी डे का आयोजन उस दिन किया जाता है जब सर राॅबर्ट कोच ने बेसिलस का पता लगाया था।
महिलाओं में टीबी को लेकर लापरवाही
नई दिल्ली आईएमए के मानद वित्त सचिव डाॅ. रमेश दत्ता ने इस सिलसिले में बताया,‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से उपलब्ध कराए गए हाल के आंकड़ों के अनुसार भारत औषधि संवेदी (ड्रग सेंसेटिव) एवं बहु औशधि प्रतिरोधी (मल्टी ड्रग रजिसटेंस) तपेदिक के मामले में आगे है। तपेदिक से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं में टीबी को लेकर लापरवाही है।
महिलाओं में टीबी के मामलों की अनदेखी होती है। हमारे देश में 32 लाख महिलाएं टीबी से पीड़ित हैं। यही नहीं इन महिलाओं में मृत्यु दर भी अधिक है। इस बीमारी के प्रबंध में आने वाली बाधाओं को कारगर तरीके से दूर करने तथा टीबी के मामलों को सामने लाने के लिए हमें आगे आने तथा एकजुट होकर रणनीतियां बनाने की जरूरत है।
भारत में गुप्त टीबी के मरीजों की संख्या अधिक
टीबी के उन्मूलन के लिए न केवल प्राइवेट चिकित्सकों को शामिल करना जरूरी है बल्कि लोगों में जागरूकता कायम करना भी आवश्यक है ताकि टीबी के मामलों को सामने लाया जा सके क्योंकि टीबी के खिलाफ जंग में टीबी के मरीज की पहचान एवं इलाज जरूरी है। भारत में गुप्त टीबी के मरीजों की संख्या भी काफी अधिक – 40 प्रतिशत से अधिक है। ऐसी स्थिति में सरकार टीबी के मरीजों के इलाज को प्राथमिकता दे रही है।
No comments:
Post a Comment