लोकसभा एवं राज्यसभा में जैनियों की साझेदारी नहीं के बराबर: गिरीश जे. शाह
तमिलनाडु ब्यूरो से डॉक्टर आर.बी. चौधरी
# जैन समाज को राजनेता कर रहे है नजरअंदाज
# जैन “सरनेम” लिखने वालों की ही जैनियों में नाम
# जनगणना में दूसरे लोग हो रहे हैं वंचित
# लोकसभा एवं राज्यसभा में 4 % सीट की मांग
# जैन समुदाय के लोग सबसे अधिक साक्षर एवं कमाउ
चेन्नई (तमिलनाडु) । कल चेन्नई शहर में जैन धर्म का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जा रहा है जिसमें चोटी के धर्मगुरु, वक्ता और समुदाय के लोग एकत्र होंगे। जैनी लोग भारतीय समाज एक कर्मठ, ईमानदार तथा स्वभाव से मर्यादाओं में रहकर जीव दया के अनुयाई होते हैं। आज की हालात में जैन समाज के लोग कहीं न कहीं दौड़ती -भागती जिंदगी में औरों पीछे छूट रहा है और उसे यह बात आभास होने लगी है, ऐसा मानना है सम्मेलन में शरीक होने वाले गिरीश जे. शाह का जो कल इस मुद्दे को सम्मेलन में उठाएंगे।
गिरीश जे. शाह मूलतः गुजरात के निवासी हैं किंतु मुंबई में अपना बहुत बड़ा कारोबार चलाते हैं। साथ ही समस्त महाजन नाम की एक अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्था के बैनर के तले जीव दया से लेकर ग्रामीण विकास, जल संरक्षण, वन रोपण, ऑर्गेनिक खेती और गो वंशीय पशुओं के सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़े ही समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। इस कार्य के लिए भारत सरकार के कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके हैं जिन्हें पिछले साल सरकार ने भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का विशिष्ट सदस्य नियुक्त किया है जो देश में पशु अपराधियों को सजा दिलाने और पशुओं के कल्याण के लिए कार्यरत है।
उन्होंने तरुण मित्र को बताया कि देश के सर्वांगीण विकास मैं अपना सब कुछ न्योछावर करने वाला जैन समाज प्रति पल अपने कर्मयोग समाज में अग्रणी रहा है जिस की सराहना समूची दुनिया में होता रहा है। लेकिन आज विकास के दौर में जैन समाज कहीं पीछे छूट रहा है और सरकार की नजर में भी नहीं आता। उन्होंने बताया कि भारत में श्वेतांबर-दिगंबर-स्थानकवासी और तेरापंथी जैन समाज की जनसंख्या तकरीबन 5 करोड़ से अधिक है जो की देश की कुल जनसंख्या का 4 प्रतिशत है। किंतु दुर्भाग्य से सरकारी जनगणना में वही लोग जैन माने जाते हैं अपने नाम में “जैन” का सरनेम लगाते हैं और जैन धर्म के दूसरे 700 लोग अपने ही समुदाय के नामकरण से वंचित हो जाते हैं।
शाह ने भारत सरकार सहित सरकार में जिम्मेदार कई राजनीतिक हस्तियों को जिसमें जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी है,को पत्र लिखकर के इस दुख से अवगत कराया है और जैन समाज के संपूर्ण परिवार को एक नजरिए से देखने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि जैन समाजने कभी भी अपने स्वार्थ के लिए न कोई आंदोलन किया हैऔर न ही कभी कोई गलत- सलत डिमान्ड रखी है और ना ही अनावश्यक राजनैतिक दखलअंदाजी , फिर यह भेदभाव एवं नजरअंदाजी क्यों की जाती रही है। उन्होंने कहा सरकार को इसका जवाब देना पड़ेगा।
जैन समाज निष्ठावान और राष्ट्रप्रेमी है। कोई भी नैसर्गीक आपदा में जैन समाज दान देने में हमेंशा सबसे आगे रहता है। इन्कमटेक्ष देकर देश के विकास में सराहनीय सहयोग भी जैन समाज करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी जैन समाजी को आप कभी भी देशद्रोही हरकतों में लिप्त प्रवृति का नहीं पाएंगे। ऐसे में जैन समाज को लोकसभा और राज्यसभा में कोई प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिलता। वह क्यों अपनी शक्ति का उपयोग देशहित में करने से वंचित हो जाता है। शाह ने अपने पत्र में यह भी अनुरोध किया है कि पूरे जैन समाज को 543 सीट में (4% के हिसाब से) 22 सीट सरकार को जैन प्रत्याशी को देकर इस समाज का देशहीत में सहयोग ले।
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इसी प्रकार राज्यसभा के 250 सीट में से (4% के हिसाब से) 10 सीट जैन समुदाय के प्रतिभाशाली जन प्रतिनिधियों को दी जाय। हमारा तो निवेदन यही है की देश और राष्ट्रहीत में जो जैन समाज पुरे जानसे लगा है उस समाज को उचित सम्मान मिलना चाहिए। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जैन लोगों की साक्षरता दर , राष्ट्रीय साक्षरता दर 65.38% की तुलना में सर्वोच्च (94.1%)है। जैन समाज के महिलाओं की साक्षरता दर भी राष्ट्रीय औसत (54.16% )की तुलना में अधिकतम (90.6%) है। यह माना जाता है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय भी जैन लोगों की उच्चतम है। कुछ लोगों के अनुसार यह विशेषताएं शाकाहारी होने के कारण है।
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