अशोक सिंह विद्रोही/ कर्मबीर त्रिपाठी
लखनऊ। राजनीति और जंग में सब कुछ जायज कहा जाता है। वक्त के साथ सियासत बदल जाती हैं। साल 2019 का चुनावी समर राम और उनके सियासी भक्तों के लिए वनवास साबित होने वाला है। दिलचस्प तथ्य यह है कि पिछले तीन दशक में यह पहला आम चुनाव है,जिसमें देश की राजनीति से राम मंदिर और उसके द्वारा क्षितिज पर चमके आडवाणी, जोशी,उमा सरीखे दिग्गजों को भाजपा ने राम के सहारे ड्राइंग रूम में बिठा दिया है।
मंदिर आंदोलन के जरिए शून्य से शिखर तक पहुँचने वाली भाजपा समेत अन्य प्रमुख सियासी दलों ने जहां इस मुद्दे पर खामोशी ओढ रखी है, वहीं मतदाताओं में भी इसको लेकर कोई खास उत्साह नजर नहीं आता। दिलचस्प तथ्य यह है कि आम चुनाव 2019 के महासंग्राम में राम मंदिर के साथ ही इस आंदोलन के प्रणेता भी राजनीति के नेपथ्य में चले गए हैं। गौरतलब है कि सीबीआई की चार्जशीट में बाबरी मस्जिद ढहाने के सूत्रधार रहे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह ,विनय कटियार, उमा भारती सरीखे दिग्गजों को बीजेपी ने पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया।
भाजपा के पितामह कहे जाने वाले नेता और रथ यात्रा के सूत्रधार लालकृष्ण आडवाणी का टिकट भाजपा ने काट कर अटल आडवाणी युग को पूरी तरह से टाटा-बाय-बाय कह दिया है। उनकी परंपरागत सीट रहे गांधी नगर से इस बार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा का सफर तय करने की तैयारी में हैं। कमोबेश यही हाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कानपुर से सांसद मुरली मनोहर जोशी का भी है। पार्टी नेतृत्व ने 75 प्लस को बेड रेस्ट करने का फरमान खास रणनीति के तहत सुनाया। जोशी के चुनाव लड़ने पर भी संसय बना हुआ है। फायर ब्रांड भगवा नेत्री और झांसी से सांसद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने आगामी मई से 18 माह की तीर्थ यात्रा पर जाने का ऐलान कर दिया। टिकट कटने की आशंका कहें या फिर चुनावी चाल उन्होंने ऐलान किया है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। साल 2016 में उन्होंने कहा था कि वह इस बार आम चुनाव नहीं लड़ेंगी।
गौरतलब है कि उमा आगामी मई से गंगा के तट पर बसे तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकलेगी।हालाँकि उन्होंने 2024 का चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई है। हालाँकि शनिवार को पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर की है। बजरंग दल के जरिए राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले विनय कटियार भाजपा के लिए भूले बिसरे गीत हो चले हैं। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें 2014 के आम चुनावों के दौरान से ही बेरोजगार कर रखा है। दिलचस्प तथ्य यह है कि मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व पार्टी के प्रमुख नेता रहे कल्याण सिंह अब राजस्थान के राज्यपाल हैं। मंदिर आंदोलन के दौरान ब्राह्मण चेहरा रहे उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे देवरिया से सांसद कलराज मिश्र भी चुनाव ना लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। हालाँकि पार्टी ने उन्हें हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाकर अहमियत देने की कोशिश जरूर की है।
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