नई दिल्ली। राज्यों में DGP की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। डीजीपी नियुक्ति के अपने पूर्व आदेश में बदलाव करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जिन अधिकारियों के रिटायरमेंट को कम से कम 6 महीने का वक़्त बचा हो यूपीएससी उन्हीं को नियुक्ति पैनल मे शामिल करने पर विचार करेगा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिनकी सेवानिवृति को 6 महीने से कम वक़्त बचा है उनके नाम पर विचार नही होगा। दरअसल डीजीपी का दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है। राज्य सरकारें जिन अधिकारियों की सेवानिवृति होने वाली होती थी उन्हें डीजीपी नियुक्त कर देती थी और उन्हे दो साल का निश्चित कार्यकाल मिल जाता था।
गौरतलब है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए आदेश को लागू न करने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया था कि वो कहीं भी एक्टिंग डीजीपी नियुक्त नहीं करेंगे।कोर्ट ने कहा था कि ये कदम उठाना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकारें डीजीपी या पुलिस कमिश्नर पद पर आसीन अधिकारी के रिटायरमेंट से तीन महीने पहले दावेदार पुलिस अधिकारियों के नाम यूपीएससी के पास भेजें। इन नामों में से तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की लिस्ट यूपीएससी बनाएगी। इन नामों में से किसी भी एक को डीजीपी चुनने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र रहेगी।कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अगर राज्य सरकार का अलग से कोई कानून है तो उस पर रोक होगी।
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