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Wednesday 3 April 2019

देहदान में 13 महिलाएं शामिल जल्द करेगा केजीएमयू सम्मानित

लखनऊ।  एक समय था की देहदान समाज में गलत माना जाता था। लेकिन समय के चलते अब पहले जैसा कुछ न रहा। पहले लोगों का बिना शिक्षित किए समाज की तरक्की के बारे में सोचना ठीक सूरज को दीपक दिखाने जैसा था। लेकिन आज के समय में समाज को अगर आगे ले जाना है तो पहले उन्हें शिक्षित कर भ्रान्तियों को जड़ से खत्म करना होगा तभी एक समाज शिक्षित होकर आगे बढ़ेगा। हम बात कर रहे देहदान की जहां इसके प्रति अब लोगों की भ्रांतियां दूर हो रही हैं। किंग जॉर्ज चिकित्साविश्वविद्यालय केजीएमयू के एनाटमी विभाग में इस बार देहदान की संख्या रिकार्ड बन सकता हैं।

देहदान में 38 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की

पिछले तीन माह में 16 देहदान हुए, इनमें 38 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है। माना जा रहा है कि जिस तरह से पिछले तीन माह में देहदान हुए इतनी संख्या में कभी नहीं हुए। सबसे ज्यादा गर्मियों में देहदान होते हैं, इस पूरे साल में पचास से अधिक देहदान होने की उम्मीद जतायी जा रही है। कुल मिलाकर अभी तक 293 देहदान हुए और 2750 लोगों ने पंजीकरण कराया है। आकड़ों पर नजर डालें तो गत वर्ष कुल 38 देहदान हुए, इनमें 13 महिलाएं शामिल थीं। इनके परिजनों को जल्द ही केजीएमयू सम्मानित करेगा। पिछले कई सालों से लगातार देहदान की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह लोगों में जागरूकता और देहदान के नियम में सरलता को माना जाता है। नयी व्यवस्था के चलते मरणोपरांत भी परिजनों की इच्छा पर देहदान कर सकते हैं लेकिन इसके लिए परिजनों को एनाटमी के विभागाध्यक्ष के नाम पर पत्र देना पड़ता है।

देहदान में दो न्यू बर्न बेबी भी शामिल

एनाटमी विभाग में देहदान के इंजार्च एसके पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 2006 से केजीएमयू में देहदान की शुरूआत हुई लेकिन लोगों में जागरूकता वर्ष 2012 से बढ़ी। तब से प्रतिवर्ष 30 का आंकड़ा पार होने लगा और क्रम निरंतर जारी है। अभी तक 293 देहदान हो चुके हैं, उनमें दो न्यू बर्न बेबी भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त देहदान के लिए 2750 लोगों ने पंजीकरण कराया है। देहदान की प्रक्रिया के बारे में बताया कि इच्छुक व्यक्तियों को एक फार्म दो प्रतियों में भरना होगा, जो विभाग में निशुल्क उपलब्ध है और विभाग में जमा किया जाएगा। अगर कोई विभाग नहीं पहुंच सकता है तो उसके ई-मेल पर फार्म भेज दिया जाता है। मरणोपरांत मृतक के परिजनों को एक से दो घंटे के भीतर विभाग को सूचना देनी होती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा अमूल्य देह की प्राप्ति का एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जिसके आधार पर नगर निगम से परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।

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