सियासी गोटे बिछाने लगे हैं राजनीति के महारथी
पाली।हरदोई -आजादी से अब तक सोलह बार हो चुकी चुनावी जंग के बाद 2019 मे दिल्ली के किले को फतेह करने को बेताब प्रमुख राजनीतिक दल अपनी चतुरंगी सेना के साथ चुनावी समर के मैदान से एक दूसरे पर बयान रुपी तीखे बाणो की बौछार करते नज़र आ रहे है।आजादी से अब तक अगर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हरदोई 31 लोक सभा क्षेत्र पर नजर डाली जाये तो स्वतंत्रता के बाद 1952 में हुए प्रथम आम चुनाव के समय यह क्षेत्र फर्रुखाबाद उत्तरी लोक सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था तब इस सीट पर जनसंघ के बुलाकिराम ने बाजी मार कर प्रथम सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद 1957 के चुनाव मे हरदोई सीट अस्तित्व में आयी और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गयी। इस बार काग्रेस के छेदा लाल को विजय श्री हाथ लगी और एक सांसद के रुप मे इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।1962 मे किदर लाल वर्मा इस सीट से जीत कर संसद भवन पहुँचे। फिर क्या था, अपनी सूझबुझ और नेतृत्व क्षमता की दम पर बरगद के वृक्ष की तरह जम गये और उन्होंने ने लगातार तीन बार हैट्रिक लगा कर विरोधियों के हौसले पस्त कर दिए। इमरजेन्सी के बाद 1977 के चुनाव में पूरे देश मे बुरी तरह हारी कांग्रेस को इस सीट पर मात देते हुए जनता दल के पर माई लाल ने बाजी मारी ,वही 1980 के चुनाव मे कांग्रेस की धमाकेदार वापसी हुई और इस सीट यहा की जनता ने कांग्रेस के मन्नी लाल पर अपना विश्वास जताया। 1984 मे कांग्रेस के सिब्बल पर चुनाव लड़कर किदर लाल चौथी बार सांसद बने। 1989 मे जनता दल ने परमाई लाल को इस सीट से उतार कर कांग्रेस से यह सीट छीन ली ।1991 के मध्यावधि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जयप्रकाश रावत ने लगातार दो बार जीत दर्ज की। इसके बाद 1998 के चुनाव में साइकिल की सवारी कर ऊषा वर्मा ने जयप्रकाश रावत को पराजित करते हुए संसद भवन का रास्ता तय किया। 1999 मे कांग्रेस छोड़ कर नरेश अग्रवाल द्वारा बनायी गयी अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर जयप्रकाश रावत के हाथ तीसरी बार विजय श्री हाथ लगी लेकिन साल 2004 मे यह भारी उलट फेर देखने को मिला।इस बार बसपा के इलियास आज़मी यह से सांसद की कुर्सी पर बैठे। साल 2009 मे सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा ने बसपा को पटखन्नी देते हुए जीत दर्ज करायी। वर्ष 2014 के चुनाव मे मोदी लहर के चलते भारतीय जनता पार्टी के अंशुल वर्मा ने बसपा को लम्बे अंतर से हराकर यहा सीट सपा से छीन ली थी।इस बार का चुनावी समर का मैदान तैयार है जिसमें भाजपा ने अपने वफादार सिपाही तीन बार सांसद रहे चुके जयप्रकाश रावत को चुनाव मैदान मे उतारा है। वही सपा बसपा और राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन से सपा की ओर से ऊषा वर्मा चुनाव मैदान मे है वही कांग्रेस ने वीरेन्द्र वर्मा को चुनाव मैदान मे उतारा है। लेकिन काग्रेस की कमजोर स्थिति को देखते हुए क्षेत्र की जनता कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र वर्मा को लडाई से बाहर मान रही है वह मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश रावत और ऊषा वर्मा बीच होने के कयास लगाये जा रहे है। पांच तहसीलो वाली 31लोक सभा हरदोई सुरक्षित सीट पर इस बार 17 लाख 94 हजार 142 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिसमे सवायजपुर के 390390 मतदाता, शाहाबाद के 348620 व हरदोई 401532 एवं गोपामऊ के 333127 और सांडी के 320473 मतदाता अपने मताधिकार का स्तेमाल कर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। जिससे लिए प्रशासन ने 2118 पोलिगं सेन्टर बनाये गये है जिनकी निगरानी के लिए 13 जोन और 123 सेन्टरो बनाये गये है। 29 अप्रैल को हरदोई लोक सभा क्षेत्र के मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

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