गाजियाबाद,रविवार, 07-04-2019, ए.टी.एस.आर्य परिवार इन्दिरापुरम द्वारा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत २०७६ के उपलक्ष में राष्ट्र में सुख,शान्ति,समृद्धि,स्वस्थ्य एवं दीर्घआयु की कामना हेतु बहुकुण्डीय यज्ञ केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महेन्द्र भाई के ब्रह्मत्व में किया गया,यज्ञउपरांत अपने आशीर्वचन में पंच यज्ञों को करने की प्रेरणा की जिससे मानव मात्र का कल्याण हो सकेगा,उन्होंने आगे कहा दैव-यज्ञ करने से वायुमंडल जितना शोधित होता है , उतनी ही कृषक की भूमि पवित्र होती है और उतनी ही पृथ्वी के गर्भ में नाना प्रकार कि औषधियाँ शोधित हो जाती है और पवित्र बन जाती है। इसीलिए यह अनुष्ठान किया जाता है ।एक वर्ष में यह अनुष्ठान दो समय होता है । एक चैत्र मास में तथा दूसरा आश्विन मास में। इन दोनों का महात्मय एक ही है। पृथ्वी के गर्भ में जो बीज की स्थापना की जाती है तो उन महीनो में बीज का फल व परिणाम गृहो में आता है।भजनोपदेशिका श्रीमती मंजू एबट,पवित्रा त्यागी,रेनू भटिया, प्रवीण आर्या व प्रवीण आर्य आदि ने ईश्वर भक्ति के गीतों से समा बांध दिया। मुख्य वक्ता आर्य नेता माया प्रकाश त्यागी जी ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष प्रारंभ होता है। इसी दिन सूर्योदय के साथ सृष्टि का प्रारंभ परमात्मा ने किया था। अर्थात् इस दिन सृष्टि प्रारंभ हुई थी तब से यह गणना चली आ रही है। यह नववर्ष किसी जाति, वर्ग, देश, संप्रदाय का नहीं है,अपितु यह मानव मात्र का नववर्ष है।यह पर्व विशुद्ध रुप से भौगो लिक पर्व है।क्योकि प्राकृतिक दृष्टि से भी वृक्ष वनस्पति फूल पत्तियों में भी नयापन दिखाई देता है।वृक्षों में नई-नई कोपलें आती हैं। वसंत ऋतु का वर्चस्व चारों ओर दिखाई देता है। मनुष्य के शरीर में नया रक्त बनता है। हर जगह परिवर्तन एवं नयापन दिखाई पडता है। रवि की नई फसल घर में आने से कृषक के साथ संपूर्ण समाज प्रसन्नचित होता है। उन्होंने संस्कृति,विकृति ओर प्रगति पर विस्तृत चर्चा की ओर वेदों की ओर लोटो का आह्वाहन किया।समारोह के अध्यक्ष समाज सेवी विनोद त्यागी ने कहा कि वैश्य व्यापारी वर्ग का भी इकोनॉमिक दृष्टि से मार्च महीना एण्डिंग (समापन) माना जाता है। इससे यह पता चलता है कि जनवरी साल का पहला महीना नहीं है पहला महीना तो चैत्र है जो लगभग मार्च-अप्रैल में पड़ता है। १ जनवरी में नया जैसा कुछ नहीं होता किंतु अभी चैत्र माह में देखिए नई ऋतु, नई फसल, नई पवन, नई खुशबू, नई चेतना, नया रक्त, नई उमंग, नया खाता, नया संवत्सर, नया माह, नया दिन हर जगह नवीनता है। यह नवीनता हमें नई उर्जा प्रदान करती है।नव वर्ष को शास्त्रीय भाषा में नवसंवत्सर कहते हैं।समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनिल आर्य ने कहा कि भगवा रंग हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है यह हमें त्याग और बलिदान का संदेश देता है,हमें अपनी भारतीय संस्कृति पर गर्व करना चाहिये। संयोजक देवेन्द्र गुप्ता जी ने दूर दराज से पधारे।गणमान्य लोगों का आभार व्यक्त किया।मंच का कुशल संचालन अभिषेक गुप्ता जी ने किया।इस अवसर पर मुख्य रूप से,सौरभ गुप्ता,योगेन्द्र गुप्ता,विजय छाबड़ा,प्रदीप त्यागी,एस पी कोहली,प्रदीप गुप्ता,वेद प्रकाश,एस के अग्रवाल,एम एल अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
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Sunday, 7 April 2019
भगवा रंग त्याग और बलिदान का सन्देश देता है-अनिल आर्य
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